अलग-अलग तरीके से रोते हैं बच्चे, रोने के तरीके से जानें कारण

By Ek Baat Bata | Oct 13, 2021

माँ बनने का एहसास बहुत ही खूबसूरत और सुखद होता है। जब भी कोई महिला माँ बनती है तो उसके ज़हन में खुशी के साथ-साथ कई सवाल और डर भी होते हैं। आखिर बच्चा रो क्यों रहा है? कहीं इसे भूख तो नहीं लगी? कहीं बच्चे को कोई परेशानी तो नहीं?..ना जाने इतने कैसे ही सवाल बार-बार मन में आते रहते हैं। हालांकि, छोटे बच्चे ज़्यादा रोते हैं और रो कर ही वे अपनी ज़रूरतों के बारे में कम्यूनिकेट करते हैं और धीरे-धीरे हर माँ-बाप अपने बच्चे के रोने या अन्य तरीकों से उसकी बात को समझना सीख लेते हैं। बच्चे के रोने में कोई न कोई मैसेज होता है, ऐसे में इस बात का अंदाजा लगाना ज़रूरी होता है कि आखिर बच्चा क्यों रो रहा है? आज के इस लेख में हम आपको बच्चों के रोने के कारण और उन्हें जानने के तरीकों के बारे में बताएंगे - 

गोद में आने के लिए 
छोटे बच्चों को माँ का स्पर्श अच्छा लगता है, इससे वे सेफ और वार्म फील करते हैं। ऐसे में अगर बच्चे को कुछ समय के लिए अकेला छोड़ दिया जाए तो वे वापस गोद में आने के  लिए रोते हैं। अगर बच्चा 5-6 सेकंड के लिए रोए और फिर कुछ सेकंड के लिए छुप हो जाए और कोई रिप्लाई ना मिलने पर फिर यही दोहराए तो समझ जाइए कि अब वह चाहता है कि आप उसे गोद में उठा लें। 

भूख लगने पर 
भूख लगने पर बच्चे बहुत ज़्यादा रोते हैं। बच्चों को पेट छोटा होता है इसलिए उन्हें हर थोड़ी-थोड़ी देर में दूध पिलाना पड़ता है। भूख लगने पर बच्चे बहुत ज़ोर-ज़ोर से रोते हैं और अपना सिर भी इधर-उधर घूमाते रहते हैं। 

बीमार होने या दर्द होने  पर 
दर्द होने पर बच्चे लगातार ज़ोर-ज़ोर से रोते हैं। अगर बच्चा बीच-बीच में चीखकर भी रो रहा है तो समझ जाइए कि उसे दर्द हो रहा है या उसकी तबियत ठीक नहीं है। लेकिन अगर बच्चा असामान्य रूप से शांत हो गया है तो ये भी एक संकेत है कि वह बीमार है। बीमारी में बच्चे चिड़चिड़े भी हो जाते हैं और इस वजह से भी वे ज़्यादा रोने लगते हैं। 

डायपर गंदा होना
कई बच्चे रो कर यह बता देते हैं कि उन के डायपर को बदलने की जरूरत है। ऐसे में वे चीख-चीख कर आपका ध्यान अपनी ओर खीचंते हैं। ज़रूरी है कि आप बीच-बीच में अपने बच्चे का डायपर चेक कर लें। 

पेट की परेशानी 
3 महीने तक के बच्चों को गैस बनने की समस्या बहुत ज़्यादा होती है। गैस, दस्त और पेट फूलने पर भी बच्चे बहुत रोते हैं। अगर बच्चा पैर पटक-पटक कर रो रहा हो और उसके रोने से आपको ऐसा लगे कि वह दर्द में है या शिकयत कर रहा है तो समझ जाएं कि वह परेशान है। 

नींद आने पर 
बच्चों को आराम और नींद की बहुत ज़रूरत होती है। नींद आने पर बच्चे चिड़चिड़े हो जाते हैं और रोने लगते हैं। अगर बच्चा बार-बार रो रहा है और साथ में उबासी ले रहा है या अपनी आखें मल रहा है तो उसे किसी शांत जगह पर ले जा कर सुला दें।