अगर आपके पार्टनर को डिप्रेशन है तो रखें खास ख्याल, अपनाएं मदद के ये 6 तरीके

By Ek Baat Bata | Aug 10, 2020

आजकल की व्यस्त और तनावपूर्ण जीवनशैली में कई स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती जा रही हैं जिसमें से एक है - डिप्रेशन। डिप्रेशन या अवसाद एक मनोविकार है जिससे बहुत से लोग जूझ रहे हैं। भारत में आजकल डिप्रेशन की समस्या बहुत आम हो गई है और बच्चे से लेकर बूढ़े तक इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। लेकिन हमारे समाज में मानसिक बीमारियों के बारे में जागरूकता कम होने के कारण अधिकतर लोगों को इसकी सही जानकारी नहीं होती है। डिप्रेशन एक ऐसी बीमारी है जो किसी भी खुशहाल इंसान की ज़िंदगी को बेरंग बना सकती है। कई बार डिप्रेशन के कारण रिश्तों में दूरियाँ आ जाती हैं और इंसान अपने करीबी लोगों से ही दूर हो जाता है। यदि आपका पार्टनर भी किसी कारण से डिप्रेशन का शिकार है तो आपको उनका खास ख्याल रखना चाहिए। डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों को अपनों के साथ और प्यार की ज़रूरत होती है। आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि यदि आपका पार्टनर डिप्रेशन का शिकार है तो आप किस तरह उनका ध्यान रख सकते हैं - 

अगर आप अपने पार्टनर की डिप्रेशन से बाहर निकलने में मदद करना चाहते हैं तो सबसे पहले डिप्रेशन के लक्षणों को जानना बेहद ज़रूरी है।  

डिप्रेशन के लक्षण - 
उदासी या खालीपन महसूस होना 
बेचैनी या डर लगना 
हमेशा थका हुआ महसूस करना 
नींद ना आना या बहुत ज़्यादा नींद आना 
भूख ना लगना या ज़रूरत से ज़्यादा भूख लगना
किसी काम में मन ना लगना 
वजन कम होना या बढ़ना
दूसरों या खुद के प्रति हीन भावना 
आत्महत्या के विचार आना 

यदि आपके पार्टनर में डिप्रेशन के लक्षण हैं तो उनसे बात करें और डॉक्टर की सलाह लें। अगर आपके पार्टनर को डिप्रेशन है तो आप  इन टिप्स के जरिए अपने पार्टनर की देखभाल कर सकते हैं - 

डिप्रेशन से जुड़ी जानकारी हासिल करें 
अगर आपका पार्टनर डिप्रेशन से जूझ रहा है तो आप उसकी मदद तभी कर पाएंगे जब आपको इस बीमारी के बारे में सही तरह से पता होगा। हमारे देश में मानसिक बीमारियों को लेकर जागरूकता की कमी है और इसके साथ ही अधिकतर लोगों के मन में इसे लेकर की तरह की भ्रांतियां भी होती हैं। सबसे पहले यह 
समझने की कोशिश करें डिप्रेशन क्या होता है? इस बीमारी के लक्षण क्या हैं? इस बीमारी के बारे में पूरी तरह जानने के बाद ही आप अपने पार्टनर की मदद कर सकेंगे। 

धैर्य है बेहद जरूरी 
अगर आपका पार्टनर डिप्रेशन का शिकार है तो आपको उन्हें हर हाल में सपोर्ट करना चाहिए। डिप्रेशन में इंसान को दूसरे के सहारे की बहुत ज़रुरत होती है। हो सकता है कि आपका पार्टनर आपसे बात करने से मना कर दे या अकेले रहने की ज़िद्द करे। लेकिन ऐसे में आपको उन्हें प्यार से समझाना चाहिए कि वे आपके लिए कितने ज़रूरी हैं और वो आपको अपनी कोई भी परेशानी बेझिझक बता सकते हैं। 

प्यार से बात करें 
डिप्रेशन में इंसान को कुछ अच्छा नहीं लगता है और इस बीमारी में मूड स्विंग्स होना आम है। हो सकता है कि आपका पार्टनर आपसे बेवजह नाराज़ हो जाए या गुस्से में आपको कुछ बुरा-भला बोल दे। डिप्रेशन में इंसान चिड़चिड़ा हो जाता है, इस बात को समझें। अपने पार्टनर की परेशानी को समझें और उनसे गुस्से से बात ना करें। 

उनकी बात सुनें 
अक्सर डिप्रेशन से जूझ रहे इंसान को किसी दोस्त या किसी अपने के सहारे की ज़रुरत होती है। एक पार्टनर से अच्छा दोस्त आखिर कौन होता है। अपने पार्टनर से बात करें और उनकी बातों को ध्यान से सुनें। अपने पार्टनर को उनके दुख, दर्द, डर, आँसू और बाकी सारी फीलिंग आपके साथ शेयर करने की इजाज़त दें। उनकी परेशानियों को समझने की कोशिश करें और उन्हें विश्वास दिलाएं कि इस मुश्किल वक्त में आप हमेशा  उनके साथ हैं। 

उनके साथ वक्त बिताएं 
अपने पार्टनर के साथ मिलकर ऐसे काम करें जिनसे उन्हें ख़ुशी मिलती हो। साथ मूवी देखें, कुकिंग करें या उनके साथ वॉक पर जाएं। लेकिन ध्यान रहे कि उन्हें किसी चीज़ के लिए फोर्स नहीं बल्कि प्रोत्साहित करें।  
 
सकारात्मक तरीके से सोचने में मदद करें  
डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों में नेगेटिव सोच और खुद के प्रति हीन भावना पैदा हो जाती है। ऐसे में अपने पार्टनर को यह एहसास दिलाएं कि चाहे कितनी ही परेशानियां क्यों ना हो, उनके साथ जिंदगी फिर भी खूबसूरत है। अपने पार्टनर को उनकी खूबियों के बारे में बताएं और उन्हें फिर से खुद से प्यार करना सिखाएं। 
डिप्रेशन में पॉजिटिव सोच बहुत ज़रूरी होती है इसलिए अपने पार्टनर को हर चीज़ के सकारात्मक पहलू को देखने में उनकी मदद करें। 

डॉक्टर की सलाह लें 
कई लोगों को यह समझ नहीं आता है कि उन्हें डिप्रेशन है या अगर पता भी हो तो वे इस  डर से डॉक्टर के पास नहीं जाते हैं कि लोग क्या कहेंगे। अगर आपके पार्टनर में डिप्रेशन के लक्षण हैं तो उन्हें डॉक्टर के पास लेकर जाएं। यदि वे डॉक्टर की सलाह लेने से मना करें तो उन्हें समझाएं कि इस बीमारी से उबरने के लिए डॉक्टर की सलाह कितनी ज़रूरी होती है।