इस वसंत पंचमी, इस विधि से करें मां सरस्वती को प्रसन्न

By Ek Baat Bata | Jan 24, 2020

वसंत पंचमी एक हिन्दू त्योहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। बसंत पंचमी हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन यानि पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन मां सरस्वती की आराधना की जाती है। इस वजह से इसे बसंत पंचमी कहते हैं। बसंत पंचमी को श्रीपंचमी और सरस्वती पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। भारत के आलावा यह पर्व बांग्लादेश और नेपाल में भी बड़े उल्लास से मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन को देवी सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं। इस बार बसंत पंचमी 29 जनवरी को है।

वसंत ऋतु आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता है। मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास से भर जाते हैं। यों तो माघ का यह पूरा मास ही उत्साह देने वाला है, पर वसंत पंचमी का पर्व भारतीय जनजीवन को अनेक तरह से प्रभावित करता है। प्राचीनकाल से इसे ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती का जन्मदिवस माना जाता है। 

पूजा करने की विधि

बसंत पंचमी के दिन पीले, बसंती या सफेद वस्त्र ही पहने, काले, नीले कपड़ों का प्रयोग पूजा में भूलकर भी ना करें, क्योंकि ऐसा करने से आपको इसके विपरीत परिणाम मिल सकता है जो आपके लिए हानीकारक हो सकता हैं। पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा की शुरुआत करें। मां सरस्वती को पीला वस्त्र पर स्थापित करें और रोली मौली, केसर, हल्दी, चावल, पीले फूल, पीली मिठाई, मिश्री, दही, हलवा आदि उनके पास प्रसाद के रूप में रखें। मां सरस्वती को श्वेत चंदन और पीले तथा सफ़ेद पुष्प दाएं हाथ से अर्पित करें। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को केसर मिश्रित खीर चढ़ाए एसा करने से मां प्रसन्न होती है। मां सरस्वती के मूल मंत्र ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः का जाप हल्दी की माला से करना शुभ होता हैं। 

मां सरस्वती प्रसन्न करने का उपाय

जिन लोगों को एकाग्रता की समस्या हो, उन्हें सुबह सुबह सरस्वती वंदना का पाठ जरूर करना चाहिए। मां सरस्वती के चित्र की स्थापना उस स्थान पर करें जहा आप पाठ करते हो। जिन लोगों को सुनने या बोलने की समस्या है वो लोग सोने या पीतल के चौकोर टुकड़े पर मां सरस्वती के बीज मंत्र "ऐं" को लिखकर धारण कर सकते हैं। अगर संगीत या वाणी से लाभ लेना है तो केसर अभिमंत्रित करके जीभ पर "ऐं" लिखवाएं। यह किसी धार्मिक व्यक्ति या माता से लिखवाने पर इससे अच्छा परिणाम मिलता हैं।