पहला करवा चौथ और आप घर से दूर हैं तो पढ़ें यह लेख, यहाँ मिलेगी करवा चौथ व्रत से जुड़ी सारी जानकारी

By Ek Baat Bata | Oct 28, 2020

करवा चौथ में अब कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं। इस बार करवा चौथ 4 नवंबर को है। यह दिन हर औरत के लिए बहुत खास और अहम होता है। इस दिन सुहागिन औरतें अपनी पति की लंबी उम्र और खुशहाल शादीशुदा ज़िंदगी के लिए व्रत रखती हैं। वहीं, कुंवारी लड़कियाँ भी अपने होने वाले पति के लिए या मनचाहे पति के लिए यह व्रत रखती हैं। करवा चौथ के दिन पूरा दिन निर्जला व्रत रखा जाता है यानि पूरे दिन कुछ खाना-पीना नहीं होता है। वैसे तो हर लड़की की माँ या सास उसे करवा चौथ व्रत की पूरी जानकारी देती है लेकिन कई बार ऐसा होता है कि करवा चौथ के दिन आप घर से दूर होती हैं। अगर आप भी करवा चौथ पर घर से दूर हैं और इस व्रत के बारे में आपको जानकारी नहीं है तो चिंता मत करिए। आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि करवा चौथ पर पूरे दिन क्या-क्या किया जाता है।   

देश के हर हिस्से में करवा चौथ का व्रत अलग-अलग तरीके से रखा जाता है।  कुछ लोग सुबह सरगी खाने के साथ इस व्रत की शुरुआत करते हैं तो कुछ लोग करवा चौथ के दिन रात में चाँद देखे बिना कुछ भी खाते या पीते नहीं हैं। पंजाबियों में सूरज उगने से पहले सास अपनी बहू को सरगी देती है। सरगी में बहू के लिए कपड़े, सुहाग का सामान जैसे चूड़ी, बिंदी, सिंदूर और खाने की चीज़ें जैसे फेनियाँ, शक्करपारे, फ्रूट्स, ड्राईफ्रूट, नारियल आदि रखा जाता है। सास की दी हुई सरगी खाकर बहू अपने व्रत की शुरुआत करती है। वहीं, जो लोग अपने ससुराल में नहीं है उनकी सास सरगी का सामान खरीदने के लिए पैसे भिजवा देती हैं। इसके बाद सुबह नहाकर सास का दिए हुए कपड़े और शृंगार की चीज़ें पहनीं जाती हैं। इसके बाद सूरज डूबने से पहले करवा चौथ की कथा सुनी जाती है।  अगर आप घर पर अकेली हैं या आपने ऑफिस से छुट्टी ली है तो करवा चौथ की पूजा या कथा सुनने जाने से पहले शाम के खाने और पूजा की सारी तैयारी कर सकती हैं। पूरे दिन भूखे-प्यासे रहने के बाद अक्सर शाम तक कमजोरी महसूस होने लगती है इसलिए दिन में ही सारी तैयारी कर लेना बेहतर होता है।  
 

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करवा चौथ में औरतें कथा सुनने के लिए मंदिर जाती हैं या गली-मौहल्ले की औरतें भी आपस में ही कथा सुन लेती हैं। करवा चौथ की कथा सूरज ढलने से पहले ही सुनी जाती है। शाम के वक्त करवा चौथ व्रत की कथा नहीं सुनी जाती है इसलिए समय से सब तैयारियां कर लें और सूरज ढलने से पहले ही कथा सुन लें। करवा चौथ की कथा सुनते समय साबूत अनाज और मीठा साथ में रखकर कहानी सुनी जाती है।  इसके बाद सात सुहागन आपस में गाना गाते हुए थालियां फेरती हैं। थाली तब तक फेरी जाती है जब तक हर किसी की थाली उसके पास नहीं पहुंच जाती। वहीं, कुछ औरतें ऑफिस के कारण अकेले ही पूजा करती  हैं। अगर आप भी ऑफिस में हैं या कथा सुनने नहीं जा सकती हैं तो ऐसे में आप अकेले कहानी पढ़ सकती हैं या मोबाइल पर कहानी सुन सकती हैं।  कथा सुनने के बाद बहु को अपनी सास के लिए बायना निकालना होता है। इसमें सास के लिए कपड़े, सुहाग का सामान, खाने की चीज़ें जैसे मिठाई, मठ्ठी, गुलगुले आदि, पानी का लोटा, शगुन के पैसे ज़रूर रखें। हर सास अपनी बहु को करवा चौथ पर करवा देती है। इसी तरह बहू भी अपनी सास को करवा देती है। कहानी सुनते या पूजा करते समय आपको दो करवे रखने होते हैं।  सास के दिए करवे से चाँद को अर्घ्य दिया जाता है वहीँ दूसरे करवे में पानी भरकर बहु बायना देते समय अपनी सास को देती है।  
 

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कुछ औरतें  शाम को कथा सुनने के बाद पानी, चाय या जूस आदि पी लेती हैं और फल व ड्राईफ्रूट भी खाती हैं। वहीं, कुछ जगहों पर चाँद देखने के बाद ही पानी पीने का रिवाज होता है। रात में चाँद को अर्घ्य देने और पूजा करने के बाद औरतें छलनी से पहले चाँद को और फिर अपने पति को देखती हैं। इसके बाद  पति के हाथ से पानी पीकर करवा चौथ का व्रत खोला जाता है। चाँद देखने के बाद आप खाना खा सकती हैं।  करवा चौथ के दिन विशेष पकवान बनाए जाते हैं। पंजाबियों में करवा चौथ के दिन साबुत उड़द की दाल और फेनियाँ जरूर बनाई जाती है।  वहीं, उत्तर प्रदेश में इस दिन चावल के आते से फरे बनाए जाते हैं। कुछ लोग इस दिन पूड़ी-सब्ज़ी, कढ़ी, खीर आदि भी खाते हैं। वैसे आजकल तो ज़्यादातर वर्किंग औरतें बाहर डिनर करना ही पसंद करती हैं।