वडोदरा की ऊषा लोदया ने 67 साल की उम्र में हासिल की पीएचडी की डिग्री

By Ek Baat Bata | Jun 26, 2021

गुजरात के वडोदरा में रहने वाली ऊषा लोदया उन सभी महिलाओं के लिए एक मिसाल हैं जिन्हें किसी वजह से अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ती है। उषा ने 67 साल की उम्र में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल कर यह बात साबित कर दी है कि पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती है। अपने एक इंटरव्यू में उषा ने बताया कि उनके परिवारवाले चाहते थे कि वे शादी के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रखें। हालाँकि, ऐसा नहीं हो सका और ऊषा ने शादी के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ दी। हालाँकि, पढ़ाई पूरी करने की ललक उनके दिल में हमेशा ही रही। ऐसे में लगभग 50 साल बाद उन्होंने अपना यह सपना पूरा कर ही लिया।   

टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में ऊषा ने बताया कि, जब वह सातवीं क्लास में थीं तब उनका सपना डॉक्टर बनने का था। उन्होंने मुंबई के झुनझुनवाला कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई भी शुरू की थी। लेकिन जब वे कॉलेज के फर्स्ट ईयर में थीं, तब उनकी शादी हो गई, जिसकी वजह से उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ गई। उस वक्त उषा की उम्र 20 साल थी और शादी के बाद वे मुंबई से वडोदरा शिफ्ट हो गईं। उषा अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करना चाहती थीं लेकिन घर-परिवार की जिम्मेदारियों के चलते वे ऐसा नहीं कर पाईं। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार ऊषा ने  महाराष्ट्र स्थित शत्रुंजय अकादमी से जैन धर्म में तीन साल की स्नातक की डिग्री पूरी की, उसके बाद दो साल का परास्नातक किया। इसके बाद उषा ने अपने गुरु जयदर्शिताश्रीजी महाराज से प्रेरित होकर डॉक्टरेट की डिग्री के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया और अपनी लगन से डॉक्टरेट की डिग्री भी प्राप्त की। उषा बताती हैं कि उनकी बहू ने इस दौरान उनकी बहुत मदद की। आपको बता दें कि शत्रुंजय अकादमी समुदाय के सदस्यों के बीच जैन धर्म के ज्ञान का प्रसार करने के लिए स्थापित एक संस्था है।

अपने इंटरव्यू में ऊषा ने बताया कि  "जब मैं जवान थी, तब मैंने यह तया किया था, हालांकि अब जाकर अपने सपने को पूरा कर पाई और ऐसा करने में मुझे 50 साल लग गए। मेडिकल के जरिए तो नहीं लेकिन डॉक्टरेट की डिग्री तो हासिल कर ही ली।"

पीएचडी की पढ़ाई के दौरान ऊषा को कई तरह की मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा था। पढ़ाई पूरी करने के बीच ही उनके पति का निधन हो गया। लेकिन ऊषा का हौंसला तब भी नहीं डगमगाया। उन्होंने एक या डेढ़ साल बाद फिर से अपनी पढ़ाई शुरू की। अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने चार साल में  पीएचडी की पढ़ाई पूरी कर ली।