क्या बचपन में बताई जाने वाली बुरी आदतें हमारे लिए फायदेमंद हैं?

By Ek Baat Bata | Aug 06, 2020

हमें बचपन से ही सिखाया जाता है कि कुछ आदतें बुरी होती हैं जोकि हमें छोड़ देनी चाहिए और वह सब  काम नही करने चाहिए। नाखून चबाना या अंगुठा चूसना, कुर्सी पर बैठे-बैठे पैर हिलाना या टेबल पर उंगलियां थपथपाना भी अच्छा नहीं होता। आमतौर पर हर इनसान को बचपन से ही ऐसी सीख दी जाती है। हालांकि, ‘हफिंगटन पोस्ट’ ने विभिन्न अध्ययनों के आधार पर कई गलत आदतों के बारे में बताया है जिसमें कुछ आदतें कई मामलों में काफी हद तक फायदेमंद है।

1.चुगली करना:

चुगली करना एक बेहद बुरी आदत मानी जाती है, कहा जाता है जो चुगली करता है वह कभी किसी के भरोसे के लायक नहीं होता और उस पर कभी भी भरोसा नहीं करना चाहिए। लेकिन 2012 में प्रकाशित एक अमेरिकी रिसर्च की मानें तो चुगली करने से स्ट्रेस हार्मोन ‘कॉर्टिसोल’ का उत्पादन घटता है साथ ही हृदयगति को नियंत्रित रखने में भी सहायता मिलती है। इसलिए जिस चुगली से किसी का नुकसान न हो, उसे करने में कोई बुराई नहीं है।

2.कुर्सी पर बैठे-बैठे पैर हिलाना:

एक और आदत है जो बुरी मानी जाती है वह है कुर्सी पर बैठकर पैर हिलाना। बचपन में जब भी हम किसी कुर्सी पर बैठकर पैर हिलाते थे तो हमें डाटा जाता था। लेकिन आपको बता दें कि एक अध्ययन के माध्यम से यह बताया गया है कि अगर ऑफिस में काम करते समय हम पैर हिलाते रहते हैं तो उससे खून का प्रवाह सही रहता है और यह एक व्यायाम की तरह कार्य करता है। डेस्क पर उंगली थपथपाना भी सेहत के लिए‌ फायदेमंद है।

3.सामान फैलाए रखना:

अगर आपका सामान इधर-उधर बिखरा हो तो लोग आपको ताने मारने लगते हैं। ऐसा कहा जाता है कि  बिखरा हुआ सामान इधर-उधर पड़ा हुआ सामान  खराब होता है इससे असभ्यता का पता चलता है।  लेकिन अगर आपकी भी यही आदत है, आप भी यह हरकत करते हैं तो आपको निराश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि एक अध्ययन के माध्यम से यह भी बताया गया है कि जिस इंसान का सामान अधिक बिखरा हुआ हो या जो सामान को व्यवस्थित ढंग से रखने में कामयाब ना हो वह इंसान काम पर अच्छा ध्यान देता है और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में कामयाब रहता है।ऐसा व्यक्ति काम पर ज्यादा ध्यान देने और निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रेरित होता है। वह हर समय सुव्यवस्थि ढंग से काम करने की कोशिशों में जुटा रहता है।

4.दिन में सपने देखना:

अक्सर लोग बातें बनाते हैं कि दिन में सपने देखना  ठीक नहीं है। दिन में सपने देखने से तुम अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाओगे लेकिन ऐसा नहीं है।दिन में सपने देखने वाला व्यक्ति न सिर्फ ज्यादा रचनात्मक होते हैं, बल्कि उसकी उत्पादन क्षमता भी ज्यादा पाई जाती है। 2010 में ‘द हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू’ में प्रकाशित एक ब्रिटिश अध्ययन में दावा किया गया था कि अगर किसी काम में परेशानी आ रही है तो व्यक्ति 10 से 12 मिनट का ब्रेक लेकर सपनों की दुनिया में जा सकता है, उसमें उसे संबंधित समस्या का हल ढूंढने में ज्यादा आसानी होती है।

5.च्युइंग गम खाना:

अक्सर चिंगम खाने पर हमें डांट पड़ती है, आपको भी बचपन में कभी ना कभी तो चिंगम खाने की वजह से डांट पड़ी होगी लेकिन क्या आपको पता है चिंगम खाने से आपका ध्यान एक ट्रक नहीं होता बल्कि आप की उत्पादन क्षमता भी बढ़ती है।एक ऑस्ट्रेलियाई रिसर्च में बताया गया कि आईक्यू जांचने के लिए हुई परीक्षा में उन प्रतिभागियों ने ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया जो च्युइंग गम चबाते हुए सवाल हल कर रहे थे। एक अन्य अध्ययन में च्युइंग गम को फील गुड हार्मोन का स्त्राव बढ़ाने और स्ट्रेस हार्मोनप कॉर्टिसोल का उत्पादन घटाने में फायदेमंद पाया गया है।

6.नाखून चबाना, अंगुठा चूसना:

बचपन में जब भी बच्चा अंगूठा चूसता है तो माता-पिता उसे रोकते और डांटने लगते हैं और इस आदत को छुड़वाने की लाख कोशिश करते हैं लेकिन हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने एक हजार बच्चों की सेहत पर नजर रखना शुरू किया जब वे पांच साल के थे। पांच, सात, नौ और 11 साल की उम्र में उनके परिवार से पूछा गया कि बच्चों को नाखून चबाने या अंगुठा चूसने की आदत तो नहीं थी। जब बच्चे 13 और 32 वर्ष के हुए, तब उनकी एलर्जी जांच की गई। नाखून चबाने और अंगुठा चूसने वाले बच्चों में एलर्जी के मामले कम देखने को मिले।

7.टाल-मटोल करना:

आलस्य को हर कोई कामयाबी का शत्रु बताता है लेकिन क्या आपको पता है टालमटोल करने वाला व्यक्ति काम में अधिक ध्यान लगाता है और वह कोई ना कोई रचनात्मक कार्य करने के विषय में सोचता रहता है। टालमटोल करने वाले इंसान को क्रिएटिव सोचने के लिए अधिक समय मिल पाता है। एप्पल संस्थापक स्टीव जॉब्स नए आविष्कार के लिए काम से कुछ समय का ब्रेक जरूर लेते थे।