अच्छे पेरेंट्स बनना चाहते हैं तो अपनाएं गुड पेरेंटिंग के ये 10 खास टिप्स

By Ek Baat Bata | Jan 07, 2022

बच्चों की अच्छी परवरिश करना कोई आसान काम नहीं है। हर बच्चे की परवरिश एक ही तरीके से नहीं की जा सकती है। हर बच्चा खास होता है और उसकी जरूरतें भी अलग होती हैं। बतौर पेरेंट आपकी जिम्मेदारी है कि आप बच्चे की जरूरतों को समझें और उसके हिसाब से पेरेंटिंग एक तरीका चुनें। पेरेंटिंग का कोई सेट रूल नहीं होता है लेकिन कुछ ऐसी पेरेंटिंग टिप्स जरूर हैं जिनकी मदद से आप अपने बच्चे की अच्छी परवरिश कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि अपने बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए -

बच्चों के साथ वक्त बिताएं
हर माता-पिता अपने बच्चें का पालन-पोषण अच्छी तरह से करना चाहता है, उसके लिए सबसे पहले आपको अपने बच्चे के साथ पर्याप्त समय बिताना चाहिए। अपने बच्चें को समय देने से उनको समझने और समझाने में काफी मदद मिलती है।

बच्चों पर गुस्सा ना निकालें 
अक्सर ऐसा होता है कि माता-पिता अपने काम और ऑफिस का गुस्सा अपने घर और बच्चों पर निकालना शुरू कर देते है, जिससे बच्चों पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है। बच्चों को कुछ सिखाते वक़्त अपने कामों को उनकी बातों को एक तरफ कर के अपने बच्चें को अच्छी शिक्षा दें। बच्चों पर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर बिल्कुल न करें। 

बच्चों के साथ खेलें
अपने बच्चें के साथ खेलना और उनका दोस्त बनना जरुरी होता है। बच्चें के साथ खेलने से उनका आपके प्रति प्यार बढ़ने लगेगा और एक अच्छा माता-पिता होने के लिए आपको बच्चें को खेलते वक़्त ही बहुत सी चीजें सीखा देनी चाहिए। हमेशा बच्चें को खुद अपना खेल चुनने दें और उसके साथ उसी ढंग से खेलें। 

बच्चे को बिगाड़े नहीं 
हर पेरेंट्स अपने बच्चों से प्यार करते हैं। लेकिन कई बार ज्यादा लाड-प्यार भी बच्चे के बिगड़ने की वजह बन सकता है। अगर आप अपने बच्चे की हर जिद्द को प्यार के नाम पर पूरा करते रहेंगे या उस पर कोई रोक-टोक नहीं लगाएंगे तो इससे वह बिगड़ सकता है। 

बच्चे की सरहाना करें
अपने बच्चें की सरहाना करना एक अच्छे माता-पिता की निशानी होती है, बच्चों की उपलब्धियों की सरहाना करने से बच्चें का मनोबल और जागने लगता है और बच्चा अच्छा महसूस करने लगता है। बच्चों की सरहाना करना से उनको आत्मविश्वासी व साहसी बनने में काफी मदद मिलती है। 

बच्चों की बातें जरूर सुनें
अपनी बातचीत को दोनों तरफ से चलना काफी जरुरी होती है, अगर आप अपने बच्चे को कुछ बात बोल रहे हैं तो आपका कर्तव्य बनता है कि आप उनकी बातें सुनें। अपने बच्चों की बातें पूरे मन और लगन से सुनने की आदत डालें और उनको ये नहीं दिखाए कि आप जबरदस्ती उनकी बातें सुनते है इसकी वजह से घर में बच्चें की बातचीत घरवालों से कम होने लग जाती है। 

संवेदनशील होना जरुरी
अपने बच्चे की जरूरतों को समझने की कोशिश करें। पेरेंटिंग का कोई सेट रूल नहीं होता है। आपको बच्चे की जरूरतों को समझते हुए पेरेंटिंग के अलग अलग तरीके अपनाने चाहिए। हो सकता है कि जो तरीका आपके बड़े बच्चे के लिए काम करे वह छोटे बच्चे के लिए काम न करे।

पब्लिक में बच्चे पर ना चिलाएं
कभी भी पब्लिक में अपने बच्चे की गलतियों पर नहीं चिलाना चाहिए। पब्लिक जगहों में बच्चें पर चिल्ला देने से वो अक्सर आपकी बातों को नहीं सुनकर दुसरो को देखने लग जाता है कि कौन-कौन उनको सुन रहा है, यही नहीं पब्लिक पर अपने बच्चें के ऊपर चिल्लाने से बच्चें पर बुरा प्रभाव पड़ता है। 

सबके लिए नियम लागू करें
अपने घर में ऐसे नियमों को लागू करें जिसका घर का हर सदस्य उन नियमों का पालन कर सकें। घर में ऐसे नियम बनाएं जो आपके बच्चें को शिक्षा विकसित करने में मदद करें। अपने नियम ऐसे बनाएं कि उनके मन में आपके लिए डर नहीं प्यार होना चाहिए। 

अपनी आदतों पर भी ध्यान दें
बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए जरूरी है कि आप अपनी आदतों पर भी ध्यान दें। आपको यह समझना होगा कि आप जो भी करते हैं उसका असर आपके बच्चे पर भी पड़ता है। घर पर बच्चे अपने पेरेंट्स से अच्छी-बुरी आदतें सीखते हैं। इसलिए हमेशा सोचें कि आपके व्यवहार और आदतों से आपका बच्चा किस तरह प्रभावित होगा।