माँ बनने वाली हैं तो जान लें डिलीवरी के बाद होने वाले इन बदलावों के बारे में

By Ek Baat Bata | Jun 02, 2021

माँ बनना किसी भी महिला के लिए इस दुनिया का सबसे बड़ा सुख होता है। प्रेगनेंसी के दौरान एक गर्भवती महिला तरह-तरह के सपने देखती है। शिशु के जन्म के बाद उसके सारे सपने पूरे हो जाते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान एक महिला के जीवन में कई बदलाव आते हैं जिनके लिए वो खुद को तैयार करती है। लेकिन अधिकतर महिलाएं शिशु को जन्म देने के बाद आने वाले बदलावों के लिए खुद को तैयार करना भूल जाती हैं। शिशु के जन्म के बाद न केवल महिला शारीरक बल्कि मानसिक तौर पर भी कई बदलावों से गुजरती है। आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि डिलीवरी के बाद एक महिला को किन बदलावों और परेशानियों से गुजरना पड़ता है -   

ब्लीडिंग 
कई महिलाओं को डिलीवरी के बाद बहुत ज्यादा दर्द और ब्लीडिंग होती है। यह ब्लीडिंग काफ़ी लंबे समय तक चल सकती है, डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग को रोकने के लिए मैटरनिटी पैड का भी प्रयोग करना पड़ सकता है। शुरुआत में खून का रंग लाल होता है और धीरे धीरे यह गाढ़े भूरे रंग में बदलने लगता है। आमतौर पर यह डिलीवरी के दो से छह हफ्तों तक बना रहता है। डिलीवरी के बाद हैवी ब्लीडिंग के कारण महिलाओं को दर्द और कमजोरी हो सकती है। 

मल त्याग करने में परेशानी 
डिलीवरी के बाद पहली बार मल त्याग करना किसी भी मां के लिए डरावने सपने जैसा ही होता है। यह आमतौर पर बेहद दर्दनाक और असहनीय होता है। कई महिलाएं पूरी तरह हाइड्रेट नहीं होती है और ना ही स्टूल सौफ्टर्न का इस्तेमाल करती हैं। उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई अस्पताल डिलीवरी के बाद पहली बार मल त्याग करने के बाद ही अस्पताल से छुट्टी दे देते हैं। ताकि घर जाके उन्हें ज्यादा शरीरिक परेशानी ना झेलनी पड़े। इस परेशानी से बचने के लिए महिला को अस्पताल में रूकना भी चाहिए ताकि उनकी तकलीफ़ को नियंत्रित किया जा सके।

डिप्रेशन 
डिलीवरी के बाद महिला के अंदर शारीरिक और मानसिक बदलाव आते हैं। कई महिलाओं को डिलीवरी के बाद पोस्टपार्टम डिप्रेशन यानी डिलीवरी के बाद होने वाली अवसाद की स्थिति का सामना करना पड़ता है। इस दौरान महिला के हार्मोन अपने चरम पर होते हैं, जिससे महिला डिप्रेशन और बहुत ही ज्यादा उदासीनता जैसी स्थिति में चली जाती है। कई बार महिलाऐं पोस्टपार्टम डिप्रेशन के कारण अपने पति या घरवालों के प्रति भी चिड़चिड़ी हो जाती हैं। 

मोटापा 
डिलीवरी के बाद महिलाओं में वजन बढ़ना एक आम बात है। लेकिन कई बार महिलाऐं गर्भवस्था के दौरान या शिशु के जन्म के बाद भी अपने खानपान पर ध्यान नहीं देती हैं। ऐसे में उनका वजन जरूरत से ज़्यादा बढ़ जाता है। मोटापे के कारण महिलाओं को डायबिटीज, बीपी या हाई कोलेस्ट्रॉल का खतरा बढ़ जाता है।