30 साल की उम्र के बाद बेबी प्लान कर रही हैं तो जान लें लेट प्रेगनेंसी से होने वाले नुकसान

By Ek Baat Bata | Sep 09, 2020

आज के समय में हर महिला अपने करियर पर फोकस करना चाहती है। यही कारण है कि अब लड़कियाँ ना जल्दी शादी करना चाहती हैं और ना जल्दी माँ बनना चाहती हैं। जहाँ पहले के समय में 30 साल की उम्र होते-होते तक दो बच्चे भी हो जाते थे, वहीं आजकल लड़कियाँ 30 साल की उम्र तक शादी करती हैं। आपने बड़े-बूढ़ों को अक्सर यह कहते हुए सुना होगा कि शादी और बच्चा दोनों सही समय पर होना ही बेहतर रहता है। दरअसल, प्रेगनेंसी के लिए 25 से 30 साल के बीच की उम्र को बेस्ट माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस उम्र में एक औरत का शरीर माँ बनने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाता है जिससे प्रेगनेंसी में ज़्यादा परेशानी नहीं होती है। डॉक्टर्स का भी यह मानना है कि 30 साल की उम्र के बाद प्रेगनेंसी में ज़्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ज़्यादा उम्र में कंसीव करने से ना सिर्फ महिला बल्कि उसके बच्चे के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि ज़्यादा उम्र में प्रेगनेंसी के क्या नुकसान हैं -  

कंसीव करने में परेशानी 
बढ़ती उम्र के साथ-साथ महिलाओं की फर्टिलिटी (प्रजनन क्षमता) कम होने लगती है। एक महिला की बॉडी में जन्म के समय करीब एक मिलियन एग्स होते हैं। प्यूबर्टी के बाद हर महीने पीरियड्स के साथ महिलाऐं अपने कुछ एग्स खोना शुरू कर देती हैं। ऐसे में उम्र बढ़ने के साथ-साथ महिला की बॉडी से एग्स खत्म होने लगते हैं जिसके कारण गर्भधारण करने में दिक्क्त आती है। इसके साथ ही 30 साल की उम्र के बाद महिला की बॉडी में एग्स अनहेल्थी होने लगते हैं जिसकी वजह से ज़्यादा उम्र में कंसीव करने से माँ और बच्चे दोनों को परेशानी हो सकती है। 

प्रेगनेंसी में कॉम्प्लीकेशन 
ज़्यादा उम्र में गर्भधारण करने पर महिलाओं को डिलीवरी के दौरान कई तरह की जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। इससे प्रेगनेंसी के दौरान हाइपरटेंशन, गेस्टेशनल डायबिटीज, मिसकैरिज, एक्टोपिक प्रेगनेंसी (अस्थानिक गर्भावस्था) और प्लेसेंटा प्रिविया जैसी गंभीर समस्याओं का खतरा अधिक रहता है। इसके अलावा ज़्यादा उम्र में कंसीव करने पर प्रीमेच्योर डिलीवरी और सीजेरियन की संभावना काफी बढ़ जाती है।

बच्चे के स्वास्थ्य को जोखिम 
30 साल की उम्र के बाद कंसीव करने पर बच्चे में जेनेटिक असामान्यता के चांसेज ज़्यादा रहते हैं। 35 के बाद माँ बनने पर बच्चे में डाउंस सिंड्रोम और ऑटिज्म होने का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है। एक रिसर्च के मुताबिक 40 साल से अधिक उम्र वाली महिलाओं से जन्म लेने वाली लड़कियों में ऑटिज्म के अलावा ब्रेस्ट कैंसर, बांझपन और कद छोटा रहने की आशंका अधिक होती है।