जानिए यूपी के गाँव में जन्मीं उमा देवी कैसे बनी हिंदी सिनेमा की पहली फीमेल कॉमेडियन

By Ek Baat Bata | Mar 10, 2021

हिंदी सिनेमा प्रेमियों के लिए 'टुनटुन' एक ऐसा नाम है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। 60 दशक में अपनी बेहतरीन गायकी और शानदार अभिनय से टुनटुन हर घर में एक जाना-पहचाना नाम बन गई थीं। टुनटुन हिंदी सिनेमा की पहली फीमेल कॉमेडियन थीं। आज के समय में जहाँ अधिकतर फिल्मों में भद्दी कॉमेडी का इस्तेमाल किया जाता है, वहीं एक समय था जब टुनटुन के फेसियल एक्सप्रेशन देखते ही लोग ठहाके मरने पर मजबूर हो जाते थे। कोई उनके मोटापे को देखकर हँसता था, तो कोई उनके आइए जानते हैं मोटी टुनटुन के नाम से मशहूर इस अभिनेत्री की कहानी - 
 
टुनटुन का असली नाम उमा देवी खत्री था। उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में जन्मीं टुनटुन ने बचपन में ही अपने माँ-बाप खो दिए थे। जिसके बाद उनके चाचा ने उनकी परवरिश की थी। उस जमाने में लड़कियों को पढ़ाया नहीं जाता था, यही कारण था कि टुनटुन अनपढ़ रह गईं। टुनटुन को बचपन से ही गाने का शौक था और वो सिंगर बनना चाहती थीं। 13 साल की उम्र में टुनटुन अपने गाने का शौक पूरा करने के लिए घर से भागकर मुंबई आ गई थीं। वहां उनकी मुलाकात कारदार से हुई। टुनटुन ने कारदार से इच्छा जाहिर की वे सिर्फ नौशाद के लिए ही गाना चाहती हैं। तब कारदार ने टुनटुन को नौशाद शाहब से मिलवाया। नौशाद साहब से मिलने पर टुनटुन ने उनसे कहा कि अगर आपने मुझे गाने का मौका नहीं दिया, तो मैं आपके बंगले के सामने जो समंदर है उसी में कूदकर जान दे दूंगी। तब नौशाद साहब ने टुनटुन से गाने के लिए कहा। उमा ने उन्हें एक गीत सुनाया, जिसके बाद नौशाद साहब ने उन्हें 500 रुपए महीने की नौकरी पर उन्हें रख लिया। टुनटुन का पहला गीत फिल्म 'दर्द' में 'अफसाना लिख रही हूं' था। यह गाना ‌सुपरहिट हुआ और टुनटुन गायकी की दुनिया में धीरे-धीरे अपनी पहचान बनाने लगीं। इसके बाद टुनटुन ने लगातार करीब 45 गाने गाए।  
 

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टुनटुन ने अख्तर अब्बास काजी नामक एक पाकिस्तानी शख्स से शादी की थी। अख्तर को टुनटुन पहले से जानती थीं। दोनों के चार बच्चे हुए - दो बेटे और दो बेटियां। टुनटुन ने शादी के बाद फिल्मों में गाना बंद कर दिया था। लेकिन कुछ घरेलू जिम्मेदारियों और परिवार चलाने की मजबूरी में वे दोबारा काम की तलाश में नौशाद के पास गईं। नौशाद ने उनसे कहा कि अब इंडस्ट्री में कई नई सिंगर्स आ गई हैं जिसकी वजह से कॉम्पीटीशन काफी बढ़ रहा है इसलिए अब तुम्हें फिल्मों में काम करना चाहिए। लेकिन यहां भी टुनटुन ने एक शर्त रख दी कि वे दिलीप कुमार के साथ ही काम करेंगी।  

उस समय दिलीप कुमार फिल्म 'बाबुल' की शूटिंग कर रहे थे। इसी फिल्म में एक ऐसा सीन था जिसमें टुनटुन, दिलीप कुमार के पीछे भाग रही हैं और भागते-भागते दोनों एक चारपाई पर गिर जाते हैं। जब यह सीन शूट हो रहा था तो दिलीप कुमार ने उमा देवी को टुनटुन नाम दिया और यही नाम आगे चलकर उनकी पहचान बन गया। टुनटुन का हास्य किरदार दर्शकों को खूब पसंद आया और देखते ही देखते वे एक कॉमेडी एक्ट्रेस बन गईं। इसके बाद उन्होंने गुरूदत्त की फिल्म मिस्टर एंड मिसेज 55 में काम किया। इस फिल्म के बाद से टुनटुन की लोकप्रियता बढ़ती ही चली गयी। अपने पांच दशक के करियर में टुनटुन ने करीब 200 फिल्मों में काम किया। टुनटुन ने 24 नवंबर 2003 को अपनी आखिरी साँसे लीं। टुनटुन भले ही अब इस दुनिया में न हों, लेकिन वे आज भी अपनी फिल्मों और गानों के जरिए लोगों के दिलों में जिंदा हैं।