स्टेज पर पहनने के लिए ना था स्विमसूट और ना हील वाले जूते, जेब में थे केवल तीन पाउंड, जानें मिस वर्ल्ड का खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला की कहानी

By Ek Baat Bata | Oct 07, 2020

जब 18 नवंबर 2017 को भारत की मानुषी छिल्लर ने मिस वर्ल्ड का खिताब जीता था तो हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया था। लेकिन सबसे ज़्यादा चर्चा इस बात की हो रही थी कि कैसे एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही एक लड़की ने विश्व सुंदरी का खिताब जीत लिया। अक्सर मिस इंडिया और  मिस वर्ल्ड जैसे ब्यूटी पीजेंट्स में जाने वाली लड़कियाँ मॉडलिंग बैकग्रॉउंड से होती हैं। ऐसे में डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही मानुषी ने मिस वर्ल्ड का खिताब जीतकर सबको हैरान कर दिया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज से करीब 53 साल पहले भारत को पहली बार पहली बार मिस वर्ल्ड का ख़िताब जिताने वाली भारतीय महिला भी पेशे से डॉक्टर हैं। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं रीता फारिया की जिन्होंने 17 नवंबर 1966 को भारत को दुनिया में यह सम्मान दिलाया था। रीता ना केवल भारत बल्कि एशिया की पहली ऐसी महिला हैं जिन्हें मिस वर्ल्ड के खिताब से नवाजा गया था। आइए जानते हैं कैसे मेडिकल की पढ़ाई कर रही रीता फरिया ने जीता था विश्व सुंदरी का ख़िताब - 
 
 रीता का जन्म 1945 में मुंबई के माटुंगा के एक सामान्य मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता मिनरल वॉटर फैक्ट्री में काम करते थे और उनकी माँ  सलून चलाती थी। रीता गोवा में पली-बढ़ी हैं। रीता को स्कूल टाइम से ही मेकअप और कपड़ों का शौक था। मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के दौरान वे  डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहीं थीं। रीता ने जब 17 नवंबर 1966 को मिस वर्ल्ड का खिताब जीता था, तब उनकी उम्र महज 21 वर्ष थी। इससे पहले वह मिस मुंबई भी रह चुकी थीं। 

सन 1966 में जब रीता मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता के लिए भारत से लंदन पहुँची तो वे 66 लड़कियों के बीच अकेली भारतीय थीं। उस समय किसी ने सोचा भी नहीं था कि गोवा के एक मिडिल क्लास फैमिली की लड़की मिस वर्ल्ड बनेगी। रीता ने उस समय मिस वर्ल्ड का खिताब जीता था जब भारत में इस प्रतियोगिता के लिए कोई ट्रेनिंग नहीं दी जाती थी। रीता ने खुद ही सब कुछ सीखा और मैनेज किया। यहाँ तक कि उनके पास ना ही स्विमसूट राउंड के लिए स्विमसूट था और ना ही स्टेज पर पहनने के लिए हील वाले जूते। रीता ने स्विमसूट राउंड के लिए मॉडल पर्सिस खंबाटा से स्विमसूट मांगा था। लेकिन उनका कद छोटा था जिसकी वजह से वो उसे नहीं पहन पाई थीं। तब रीता ने अपने पास रखे केवल तीन पाउंड से एक स्विमसूट और हील वाले जूते खरीदे थे। इसके बाद 17 नवंबर 1966 की रात को वेलिंगटन के लाइसियम बॉलरूम में जब रीता स्विमसूट में स्टेज पर आई तो दुनिया उन्हें देखती ही रह गई। लंदन के लाइसियम बॉलरूम में हुई प्रतियोगिता में रीता के आत्मविश्वास को दुनियाभर में सराहा गया था।  

मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता के पर्सनालिटी राउंड में जब रीता से पूछा गया था कि वे डॉक्टर क्यों बनना चाहती हैं तो जवाब में उन्होंने कहा था कि भारत में स्त्री विशेषज्ञों की बेहद ज़रूरत है। रीता के इस जवाब से सब काफी प्रभावित हुए थे और अंत में उन्हें मिस वर्ल्ड के ख़िताब से नवाजा गया था। इसके बाद से तो रीता की जिंदगी ही बदल गई थीं। वे जहाँ भी जाती उनकी फोटो खींची जाती थी। रीता के लिए यह सब एक सपना सच होने जैसा था।    

मिस वर्ल्ड का खिताब जीतने के बाद रीता ने करीब एक साल तक मॉडलिंग की थी। इसके बाद उन्होंने अपने मॉडलिंग करियर को अलविदा कह दिया और अपनी मेडिकल की पढ़ाई की तरफ वापस लौट आईं। रीता ने मुंबई के ग्रांट मेडिकल कॉलेज व सर जमशेदजी जीजाबाई ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए लंदन के किंग्स कॉलेज एवं हॉस्पिटल चलीं गईं। 

साल 1971 में रीता ने डेविड पॉवेल से शादी कर ली थी। 1998 में रीता ने फैशन की दुनिया में दोबारा कमबैक किया। वे फेमिना मिस इंडिया और मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में बतौर जज शामिल हो चुकी हैं। फिलहाल वे अपने पति के साथ डबलिन में रहती हैं। उनके पति डेविड पेशे से एंडोक्राइनोलॉजिस्ट हैं और दोनों डबलिन में डॉक्टरी की प्रैक्टिस कर रहे हैं। रीता और डेविड के दो बेटे और पांच पोते-पोतियाँ हैं।