इन कारणों से होती है बच्चों को अनिद्रा की शिकायत, जानें बच्चों को इससे बचाने के उपाय
By Ek Baat Bata | Apr 09, 2021
आजकल की बदलती जीवनशैली के कारण कई ऐसी बीमारियां हैं जिनका शिकार छोटे बच्चे भी हैं। ऐसी ही एक समस्या है अनिद्रा यानी नींद न आना। पहले के समय में आमतौर पर समस्या बड़े-बुजुर्गों में पाई जाती थी लेकिन आजकल युवा और बच्चों को भी अनिद्रा की समस्या ने घेर रखा है। इससे बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर नकारत्मक प्रभाव पड़ रहा है। डॉक्टर्स के मुताबिक स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए प्रतिदिन 7-8 घंटे की नींद बहुत जरुरी है। लेकिन आजकल की आधुनिक जीवनशैली में बच्चे देर रात तक टीवी देखते हैं या मोबाइल-कम्प्यूटर पर लगे रहते हैं जिसके कारण उन्हें अनिद्रा की समस्या हो जाती है। यदि नींद न पूरी हो तो बच्चे में चिड़चिड़ापन, पाचन क्रिया और स्मरण शक्ति कमजोर होना, सिरदर्द, आंखों में जलन, सुस्ती जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। ऐसे में माता-पिता को अनिद्रा के कारणों का पता लगाना चाहिए और कुछ उपाय करने चाहिए जिससे यह समस्या हल हो सके। आज के इस लेख में हम आपको बच्चों में अनिद्रा के कारण और इससे बचने के उपाय बताएंगे -
अनिद्रा के कारण -
- अक्सर शारीरिक परेशानी भी बच्चों में अनिद्रा का कारण हो सकती हैं। सोते समय खर्राटे लेना, मुंह खोलकर सोना, सोते समय सांस रबाधित होना या टॉन्सिल आदि परेशानियों के कारण बच्चा सो नहीं पाता है।
- आजकल बच्चे देर रात तक टीवी देखते रहते हैं या मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं जिससे वे रात में देर से सोते हैं। उस पर उन्हें सुबह जल्दी उठकर स्कूल जाना होता है जिसकी वजह से उनकी नींद नहीं पूरी हो पाती है।
- कई बार घर का नकारात्मक माहौल भी बच्चों में अनिद्रा का कारण बन सकता है। घर में माता-पिता के बीच चलने वाले झगड़े का बच्चों के दिमाग पर काफी बुरा असर होता है। ऐसे माहौल में बच्चे खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं और डर की वजह से सो नहीं पाते हैं।
- कई बार बच्चा नींद में बुरा सपना देख डर कर उठ जाता है जिसकी वजह से उसकी नींद खराब हो जाती है। यदि यह कभी-कभार हो तो ठीक है लेकिन यदि ऐसा बार-बार हो रहा है तो आपको इसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। लगातार ऐसा होने का मतलब है कि बच्चे को कोई बात परेशान कर रही है।
क्या करें माता-पिता -
- यदि बच्चा नींद में खर्राटे लेता हो तो इसे नज़रअंदाज़ न करें। यह भी अनिद्रा का एक लक्षण हो सकता है।
- बच्चे को अच्छी जीवनशैली का महत्व समझाएं। उसे बताएं कि समय पर सोना कर जागना सेहत के लिए कितना महत्वपूर्ण है।
- कोशिश करें कि बच्चे के सोने और जागने का समय निर्धारित हो। इससे बच्चे की स्लीप साइकिल ठीक रहेगी और वह अच्छी नींद ले पाएगा।
- माता-पिता को चाहिए कि वे भी दफ्तर से जल्दी आएं और समय पर भोजन करके बच्चे को सही समय पर सुला दें।
- घर के माहौल का बच्चे के मानसिक विकास पर नकारत्मक असर पड़ता है। इसलिए घर में लड़ाई-झगड़े वाला माहौल न रखें।
- देर रात तक न खुद टीवी देखें और न ही बच्चे को देखने दें। इसके साथ ही बच्चे को रात में ज़्यादा देर तक मोबाइल या कंप्यूटर भी इस्तेमाल न करने दें।
- यह जानने की कोशिश करें कि कहीं बच्चे को कोई तकलीफ, चिंता या भय तो नहीं है जिसकी वजह से वह डर के कारण न सो पा रहा हो।
- यदि जीवनशैली में बदलाव करने के बाद भी बच्चे को अनिद्रा की समस्या है तो किसी डॉक्टर से सम्पर्क करें। हो सकता है कि बच्चे को शारीरिक तकलीफ हो जिसकी वजह से वह सो नहीं पा रहा हो।