बच्चों पर हर वक्त चिल्लाना डाल सकता है उनके दिमाग पर बुरा असर, जानिए क्या कहती है रिसर्च

By Ek Baat Bata | Sep 16, 2020

बच्चों को संभालना बच्चों का काम नहीं है! जब बच्चा कोई गलत काम कर रहा हो या आपकी बात ना सुने तो ऐसे में उस पर चिल्लाना स्वाभाविक लगता है। बच्चों पर चिल्लाकर या उसे डरा-धमका कर आप उसे अनुशासन सीखने की कोशिश करते हैं। जब भी हम बच्चे को कोई गलत काम करने से रोकने के लिए चिल्लाते हैं तो वह उस काम को छोड़ देता है। लेकिन धीरे-धीरे यह हमारी आदत बन जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि चिल्लाने का बच्चों के दिमाग और उनके विकास पर बहुत नकारात्मक प्रभाव हो सकता है। मनोविशेषज्ञ और Peaceful Parent, Happy Kids: How to Stop Yelling and Start Connecting की लेखिका डॉ लाउरा मारखम ने अपनी किताब में भी इस बात पर प्रकाश डालने की कोशिश है कि बच्चों पर चिल्लाना उन्हें किस तरह से प्रभावित करता है। इसके साथ ही उन्होंने अपनी किताब में कुछ ऐसी टिप्स भी दी हैं जिनकी मदद से आप खुद को शांत और कूल रख सकते हैं और बच्चों  अनुशासित करने के अन्य तरीकों के बारे में भी बताया है। 

बच्चे के दिमाग पर होता है बुरा असर 
एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि बच्चों पर ज्यादा चिल्लाने से उनके मस्तिष्क की संरचना बदल जाती है। जब हम शांतिपूर्ण माहौल में होते हैं जो हमारा मस्तिष्क कुछ ऐसे बायोकेमिकल्स पैदा करता है जो हमें बताते हैं कि हम सुरक्षित हैं। लेकिन जब आप अपने बच्चे पर चिल्लाते हैं तो इसके विपरीत होता है। खासतौर से छोटे बच्चे जिनका दिमाग पूरी तरह से विकसित नहीं होता, उनमें यह प्रभाव ज्यादा देखने को मिलता है। जब आप लगातार बच्चे पर चिल्लाते हैं तो उनका दिमाग उन्हें 'फाइट, फ्लाइट या फ्रीज़' करने का संकेत देते हैं। ऐसी स्थिति में बच्चे डर जाने के कारण आपको मारते हैं या भाग जाते हैं या अपनी जगह पर ही सहमे खड़े रहते हैं। यह बच्चों के दिमागी विकास के लिए बिलकुल अच्छा नहीं है। 

बच्चे आपकी बात नहीं सुनते 
भले ही आप चिल्लाकर अपने बच्चे को कुछ समझाने की कोशिश कर रहे हों लेकिन चिल्लाने का मतलब बात करना नहीं होता है। जब आप अपने बच्चे को किसी खतरे से बचाने के लिए उस पर चिल्लाते हैं तो वह भले ही उस काम को छोड़ दे लेकिन उसे इसके पीछे की वजह समझ नहीं आती है। अगर आप लगातार अपने बच्चे पर चिल्लाते रहते हैं तो हो सकता है कि कुछ समय बाद वह आपको सुनना ही बंद कर दे।  

यह बच्चों के लिए डरावना है 
बच्चों के दिमाग में अपने माँ-बाप की छवि एक ऐसे इंसान की होती है जो उसे हर सुख-सुविधा, प्यार और सुरक्षा देते हैं। लेकिन जब आप बच्चे पर चिल्लाते हैं तो वे भयभीत हो जाते हैं और उनका यह विश्वास टूटने लगता है। डॉ मारखम के मुताबिक, उन्होंने एक स्टडी के दौरान बच्चों पर चिल्लाने के दौरान की वीडियो बनाई और बाद में बच्चों के माँ-बाप को दिखाई। वीडियो में उन्होंने देखा कि चिल्लाते समय कैसे उनका रूप एकदम बदल जाता है जिसे देखकर वे खुद हैरान रह गए। बड़ों के लिए शायद इस बात को समझना आसान है लेकिन एक तीन साल के छोटे बच्चे पर इसका बहुत बुरा प्रभाव होता है। 

बच्चा आपसे दूर होने लगता है 
शायद आपको यह लगता हो कि आप अपने बच्चे पर चिल्ला कर उसे अनुशासन सीखा रहे हैं लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। चिल्लाने से आप स्थिति को और ज्यादा ख़राब कर देते हैं। जब आप बच्चे पर चिल्लाते हैं तो उसके मन में डर पैदा हो जाता है और वह यह समझ नहीं पाता है कि आप उसकी रक्षा करना चाहते हैं। चिल्ला कर भले ही आप बच्चे को किसी काम को करने से रोक दें लेकिन धीरे-धीरे वह आपसे दूर होने लगता है। 
 
बड़ों को देखकर ही सीखते हैं बच्चे 
हमारे व्यवहार का बच्चों पे सीखा असर पड़ता है।अगर आप अपने बच्चे को कोई सीख देना चाहते हैं तो आपको भी उसके सामने वैसा ही व्यवहार करना पड़ेगा। बच्चे पर लगातार चिल्लाते रहने से उसे लगने लगता है कि ऐसी स्थिति में चिल्लाना सामान्य है। डॉ मारखम के मुताबिक जब बच्चे पर आपके चिल्लाने का भी कोई असर ना हो और वह इससे घबराना या डरना बंद बंद कर दे तो आपको समझ जाना चाहिए कि आप उस पर बहुत अधिक चिल्ला रहे हैं। 

क्या है विकल्प? 
डॉ मारखम के मुताबिक इसका सबसे अच्छा विकल्प ह्यूमर यानि मजाक है। बच्चे बहुत नटखट और नादान होते हैं। बच्चे का गलती करना, नखरे दिखाना या चिड़चिड़ाना बिल्कुल स्वभाविक है। ऐसे में अगर आप बच्चे को अनुशासित करना चाहते हैं तो उसे थोड़े मज़ाकिया अंदाज या सेन्स ऑफ ह्यूमर के साथ समझाएं। इससे बच्चा आपसे जुड़ा हुआ महसूस करेगा और आपकी बातों पर ध्यान भी देगा। कई बार बच्चे बात नहीं सुनते जिसकी वजह से मां-बाप अपना आप खो बैठते हैं। लेकिन यह बिलकुल गलत है। बच्चों की परवरिश के लिए बहुत धैर्य की जरुरत होती है। अगर बच्चा कोई गलत काम कर रहा है तो उस पर चिल्लाने की बजाय उसे प्यार और शांत ढंग से समझाएं। इसके साथ ही आप अपने ऊपर भी ध्यान दें और अगर आपको लगता है कि आप हर वक्त बच्चे से ऊंची आवाज़ में बात करते हैं या उस पर चिल्लाते हैं तो इस आदत को सुधारने की कोशिश करें। अगर बच्चा किसी गंभीर परिस्थिति में हो या कोई ऐसा काम कर रहा हो जिससे उसके साथ कोई दुर्घटना हो सकती है तो उस पर जरूर चिल्लाएं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि चिल्लाना आपकी आदत ना बन जाए।