अगर बच्चा करता है जिद और गुस्सा तो जानें बेहतरीन पैरेंटिंग टिप्स

By Ek Baat Bata | Jun 29, 2020

किसी भी माँ बाप के लिए बच्चों की परवरिश सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है लेकिन आज के दौर में सबसे बड़ी बात जो ज्यादातर माता पिता से सुनते हैं वो ये कि 'आजकल के बच्चे बड़े जिद्दी हो गए है, कहना ही नही मानते ये सबसे बड़ी शिकायतें रहती हैं।
 
इन पेरेंट्स का कहना है कि हमें भी समझ में नहीं आ रहा कि प्रेम से समझाये, डांटे, मारें या उन्हें जिद करने दें या फिर उनकी जिद को मान लें' आमतौर पर ऐसा होता है कि बच्चों के स्वभाव या किसी अन्य की सलाह पर पेरेंट्स कोई एक विकल्प चुन लेते हैं पर असल में अधिकत्तर बिना सोचे समझे निर्णय लेने पर न पेरेंट्स खुश रह पाते है ना ही बच्चे।

तो सवाल ये उठता है कि इस मामले में क्या किया जाए- इन जिद्दी बच्चों के साथ सीधी ऊँगली से घी निकाला जाए या फिर ऊँगली टेढ़ी की जाये, या अगल उपयोग करें जैसे चम्म्च उपयोग किया जाये या घी का डिब्बा थोड़ा गर्म किया जाये।

तो आज हम आपको ऐसे कुछ तरीके बतयँगे जोकि आपको अच्छे पेरेंट्स बनने और बच्चों की परवरिश करने में सहायता करेंगे।

बच्चों की जिद्द को कम करने के कुछ उपाय -
आप बच्चों को किसी भी मुद्दे पर सीधे तौर पर मना करने की जगह कुछ अच्छे सुझाव या विकल्प दें, बच्चे जब जिद करते हैं उस समय आप अगर कुछ सबसे अच्छा कर सकते है तो वो है कि अपना मन शांत रखे। बच्चे की बात सुने उसे बताये की आप उनकी जिद समझ सकते हैं, पर अमुक वस्तु तुम्हे नहीं दे सकते या अमुक चीज मैं नहीं कर सकता ।

जब बच्चे ज्यादा जिद कर रहे तो तब ज्यादा ज्ञान न दे। बच्चों को समझाने के लिए जब बच्चे अच्छे मूड मे हो तो खुद बच्चा बनकर जिद करें और उनके तरीके से बात करें। जैसे की उदाहरण के तौर पर 2 चाकलेट देकर 3 वापिस मांगे तब बच्चो को समझा सकेंगे हमारे पास भी सीमित साधन है और हर बार हम तुम्हारी जिद पूरी नहीं कर सकते।

जिद करने के कई कारण हैं, भूखा होना, बोर होना या थकान होना भी हो सकते हैं।
यदि बुरे व्यहार के लिए हम डाँटते हैं तो उससे ज्यादा अच्छे व्यहार के लिए प्रोत्साहित करें। बच्चों को हमेशा पहले से बदलाव के संकेत जरूर दें जैसे पार्क से 6.30 बजे शाम तक वापिस आने का तय किया है तो उन्हें 6 बजे ही बता दें कि 15 मिनिट बाद हम वापिस घर चलेंगे।

बच्चो को बॉय-बॉय करना सिखायें मान लें कि बच्चे ने काँच का गिलास हाँथ मे ले रखा है तो आप बच्चे के हाथ से गिलास तुरंत न छीनकर बच्चे को बतायें कि गिलास को बॉय-बॉय करो और बच्चा थोड़ा ना-नुकर करेगा पर गिलास वापिस कर देगा। आपको कभी-कभी अपनी समस्या भी बच्चों से शेयर करनी चाहिए, इससे उनके अंदर जिम्मेदारी का अहसास होता है और वो समझ पाते हैं कि आप किन परिस्थियों से गुजर रहे हैं और कई बार वो इतना अच्छा समाधान दें सकते हैं, जो आप कभी सोच भीं नहीं सकते ।

जहाँ तक संभव हो बच्चो पर कभी हाँथ न उठायें इस से उनके अंदर आपके लिए नफरत औऱ नकारात्मक सोच पैदा हो सकती है। अपने बच्चे की हमेशा बुराई न करे, न दूसरे बच्चों से तुलना करें। यह लड़ाई आप के खुद के बच्चे से है, इसिलए जहाँ तक हो शांत मन से और क्रिएटिव तरीके से समस्या का हल निकालें। आपके इस युद्ध का अंतिम उद्देश्य आपके दुश्मन की भलाई करना है। आपका बच्चा आप से सीख रहा है कि कठिन परिस्थियों का हल कैसे निकाला जाता है।