शादी के बाद हर लड़की के जीवन में आते हैं ये 5 बड़े बदलाव, डील करने के लिए पहले से रहें तैयार

By Ek Baat Bata | Nov 03, 2021

किसी भी लड़की के जीवन में शादी एक बहुत बड़ा फैसला होता है। शादी के बाद उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदल जाती है। शादी के बाद एक लड़की को अपना घर-परिवार छोड़कर अपने पति के घर जाना पड़ता है। जहां शादी से पहले घर में सबकी लाडली बिटिया बिना किसी फिक्र के रहती है। वहीं, शादी के बाद उसे खुद से पहले अपने पति और ससुराल वालों के बारे में सोचना पड़ता है। ससुराल में उसे नए लोगों के बीच और नए तौर-तरीकों के बीच खुद को ढालना पड़ता है। आइए जानते हैं शादी के बाद एक लड़की के जीवन में कौन से बदलाव आते हैं -

शादी के बाद एक लड़की के ऊपर अपने पति और ससुराल वालों की जिम्मेदारी आ जाती है। उसे अपने साथ-साथ अपने ससुराल वालों की सेहत, खानपान और जरूरतों का ध्यान रखना पड़ता है। यही वजह है कि शादी के बाद लड़कियां ज्यादा जिम्मेदार बन जाती हैं।

शादी से पहले लड़कियां चाहे जितनी मनमानी करती हों या घर में रौब से रहती हों। शादी के बाद उन्हें अधिक धैर्यवान बनना पड़ता है। भले ही वह अपने माता-पिता पर गुस्सा दिखाती हों लेकिन ससुराल में उन्हें काफी सब्र से रहना पड़ता है। ससुराल में उन्हें कुछ भी कहने और करने से पहले सब के बारे में सोचना पड़ता है ताकि किसी को कुछ बुरा न लग जाए।

शादी से पहले जहां लड़की अपनी मर्जी से कहीं भी आ जा सकती है और कुछ भी कर सकती है। वहीं शादी के बाद उसे अपने फैसले लेने से पहले सब के बारे में सोचना पड़ता है। भले ही लड़की को पति और ससुराल वालों का साथ हो लेकिन फिर भी लड़कियों को अपने ज्यादातर फैसले पति और ससुराल वालों की सहमति से ही लेने पड़ते हैं।

शादी के बाद लड़कियों की प्राथमिकताएं भी बदल जाती हैं। जहां पहले उन्हें सिर्फ अपने बारे में सोचना होता है। शादी से पहले उनकी प्राथमिकता उनका करियर और परिवार दोस्त होते हैं। वहीं, शादी के बाद उन्हें करियर के साथ साथ घर की जिम्मेदारी और पति और ससुराल वालों की अपेक्षाओं को पूरा करना पड़ता है। ऐसे में कहीं ना कहीं से अपने करियर से ज्यादा अपनी निजी जिंदगी को ज्यादा प्राथमिकता देती हैं।  

शादी के बाद लड़की को अपना घर छोड़कर नए घर आना होता है और नए लोगों के बीच एडजस्ट करना होता है। घर-परिवार और करियर के बीच सामंजस्य बिठाने के चक्कर में लड़कियां अक्सर उलझ कर रह जाती हैं। उन्हें ऐसे लगने लगता है कि उन्हें खुद के बारे में सोचने का समय नहीं मिल पाता है।