जानें महिलाओं की सुरक्षा और अधिकार के लिए बनाए गए कानूनों की पूरी जानकारी

By Ek Baat Bata | Apr 28, 2020

दुनिया के हर छोर में महिलाओं की विशेष भागीदारी आधुनिक समय में बढ़ती जा रही है, वहीं महिलाओं की इस बढ़ती हिस्सेदारी के बीच उन पर कई प्रकार के शोषण और उनके अधिकारों का हमेशा से हनन होता रहा है। लेकिन भारत में महिलाओं के अधिकारों और बराबरी के हक के लिए कानून भी बनाए गए हैं। जिससे महिलाओं पर होने वाली घरेलू हिंसा से लेकर सभी प्रकार की समस्या से निजात पाने के लिए अधिकार दिए गए हैं। आइए जानते हैं, महिलाओं के अधिकार और सहायता हेतु बनाए गए कानूनों के बारे में पूरी जानकारी।

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता:।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्रफला: क्रिया:।।

मनुस्मृति में मौजूद इस श्लोक से समझा जा सकता है, कि नारी विश्व में सृष्टि के सृजन के साथ से ही पूजनीय रही है। जहां नारियों को सम्मान नहीं मिलता वहां किए गए समस्त अच्छे कर्म निष्फल हो जाते हैं।

भारत में महिलाओं के लिए बनाए गए कानून

कन्या भ्रूणहत्या के खिलाफ कानून
भारत में जागरूकता की कमी और कोख में ही बेटियों को जन्म के पहले ही लिंग परीक्षण कर मारने पर रोक लगाने हेतु गर्भधारण पूर्व प्रसाद निदान तकनीक अधिनियम 1994 के तहत कानून बनाते हुए तत्कालीन भारत सरकार द्वारा सभी को समान रूप से जीने के अधिकार को आगे बढ़ाते हुए महिलाओं को  अधिकार प्रदान किया गया है।

घरेलू हिंसा रोकथाम कानून
ऐसी महिलाएं जो परिवार के भीतर होने वाले किसी प्रकार की हिंसा से पीड़ित हों उन्हें संविधान के अधीन कुछ अधिकारों के प्रभावी संरक्षण और सुरक्षा हेतु घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम 2005 बनाया गया है। इस कानून के अनुसार किसी भी महिला के स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन, अंग की अथवा मानसिक या शारीरिक हानि पहुंचाने पर, किसी प्रकार का संकट उत्पन्न करने, शारीरिक दुरुपयोग, लैंगिक दुरुपयोग, मौखिक या भावनात्मक चोट पहुंचाने पर दोषी को दंडित करने का कानून बनाया गया है। महिलाओं के लिए ऑफिस या किसी भी कार्यस्थल पर किसी तरह के शोषण करने पर भारतीय दंड संहिता के अनुसार सुरक्षा कानून बनाए गए हैं।

समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976
किसी भी संस्थान में महिलाओं को समान कार्य के लिए समान वेतन देने के लिए 1976 में समान पारिश्रमिक अधिनियम बनाया गया। क्योंकि महिलाओं को पुरुषों के समतुल्य कार्य करने पर भी समान पारिश्रमिक नहीं मिलता था। इस कानून के लागू होने के बाद किसी भी कार्य में महिलाओं की पुरुषों के समान भागीदारी होने पर समान पारिश्रमिक मिलना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसा न होने पर महिला को शिकायत दर्ज कराने और इस कानून की सहायता से अपना अधिकार लेने का हक दिया गया है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 375 की उपयोगिता
किसी भी महिला के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध किए गए सम्भोग को बलात्कार का मामला समझते हुए आईपीसी की धारा 375 के तहत मामला दर्ज किया जाने और आरोपित पर कार्रवाई करने का प्रावधान रखा गया है। किसी महिला को डरा-धमकाकर उसकी सहमति हासिल करने, मानसिक रूप से विक्षिप्त, या भारतीय संविधान में मौजूद कानून (महिला के साथ सम्बन्ध स्थापित करने के लिए तय की गई उम्र) आदि का पालन न करने पर दंड का भागी होना तय किया गया है।

धारा 376 के विधान से महिलाओं को न्याय दिलाने वाला कानून
पत्नी के अलग रहने पर भी किसी पति के साथ सम्बन्ध बनाने पर जुर्माना अथवा 2 वर्षीय कारावास या दोनों से दंडित किया जाएगा। 376 खण्ड 'ख' के अनुसार सरकारी नुमाइंदे द्वारा उसकी अभिरक्षा में किसी औरत से सम्भोग करने पर पांच साल तक की जेल या जुर्माना लगाया जा सकता है। 376 के खण्ड 'ग' और 'घ' के अनुसार अस्पतालों या जेल आदि के अफ्सरों अधिकारियों आदि द्वारा महिलाओं से छेड़छाड़ अथवा बलात्कार करने की स्थिति में दंडित करने का प्रावधान रखा गया है।

आईपीसी की धारा 377
किसी भी महिला के साथ की गई अप्राकृतिक कृत्य या बर्बरता जिसमें महिलाओं को प्रकृति विरुद्ध तरीके से कामवासना को मिटाने का प्रयास किया जाए तो दोषी को उम्रकैद, फांसी अथवा दस वर्ष का कारावास और जुर्माना लगाया जा सकता है। महिलाओं के साथ इस तरह के बढ़ते मामलों के कारण भारत सरकार ने कम उम्र की लड़कियों और महिलाओं से किए गए बलात्कार के खिलाफ (Protection of children from sexual offences Act- POCSO) पाॅक्सो एक्ट 2012 में संसद के दोनों सदनों से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा पास कराते हुए लागू किया गया। इस कानून में POCSO की धारा 7,8 के तहत नाबालिग लड़की के साथ हुई बर्बरता पर कार्रवाई किए जाने का प्रावधान किया गया है।

गोपनीयता कानून
आईपीसी की धारा 164 महिलाओं के परिप्रेक्ष्य में ये कहती है कि महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान की रक्षा की भावना रखते हुए निजता रखने और पीड़िता की पहचान को गोपनीय बनाए रखने का कानून बनाया गया है।

महिलाओं को विशेष साईबर सुरक्षा का कानून
किसी महिला की पहचान उसकी तस्वीर या विडियो इंटरनेट पर वायरल करने और महिलाओं की इज्जत से खिलवाड़ करने की नीयत रखने का उद्देश्य रखने वाले लोगों पर साईबर क्राइम के तहत मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई करने का प्रावधान रखा गया है। सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 67 और 66ई के तहत किसी भी व्यक्ति के द्वारा दूसरे व्यक्ति की अनुमति के बिना तस्वीरें खींचने और प्रकाशित करने पर दंड का भागी बनाया जा सकता है।

जीरो एफआईआर का विशेष प्रावधान
महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उनके साथ कभी भी किसी भी समय घटित हुए अपराध की शिकायत कहीं भी किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई जा सकती है। जिसे जीरो एफआईआर का नाम दिया गया है। इसमें सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के मुताबिक महिलाओं की सुरक्षा हेतु किसी भी अधिकार क्षेत्र की सीमाओं को तोड़कर सबसे पहले पीड़ित को न्याय दिलाने का कानून हैं। जिससे पीड़ित अपने साथ हुए किसी भी प्रकार के कृत्य से व्यथित होकर अन्य किसी भी प्रकार के जोखिम ना उठाएं।