पहले उपन्यास से ही मिली थी बड़ी सफलता, पढ़ें मशहूर लेखिका अरुंधति रॉय की कहानी

By Ek Baat Bata | Nov 24, 2020

प्रसिद्ध उपन्यासकार एवं समाजसेविका अरुंधति रॉय हमेशा सामजिक कार्यों और राजनीतिक मुद्दों पर सक्रिय रहती हैं। वे अमरीकी साम्राज्यवाद से लेकर, परमाणु हथियार, नर्मदा बाँध परियोजना आदि जैसे कई स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करती रही हैं। अरुंधति को 1997 में उनके पहले उपन्यास 'द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स' के लिए बुकर प्राइज मिला था। इस किताब ने अरुंधति को रातों रात सेलेब्रिटी बना दिया था। इस उपन्यास के लिए उन्हें 8 करोड़ रुपए एडवांस में मिल चुके थे। यह किताब मई में प्रकाशित हुई थी और जून तक ये विश्व के 18 देशों में बिक चुकी थी। साल 2002 में अरुंधति ने लान्नान सांस्कृतिक स्वतंत्रता पुरस्कार भी जीता था। इसके बाद  2004 में उन्हें सामाजिक सुधार कार्यों के लिए 'सिडनी पीस प्राइज' मिला था। आइए जानतें हैं अरुंधति रॉय के बारे में - 

अरुंधति रॉय का जन्म 24 नवम्बर 1961 को मेघालय में हुआ था। उनके पिता राजीव रॉय कोलकाता से चाय बागान प्रबंधक के रूप में शिलांग आए थे। अरुंधति की मां ईसाई थीं जो केरल की महिला अधिकार कार्यकर्ता थीं। अरुंधति जब केवल दो वर्ष की थीं तब उनके माता-पिता का तलाक हो गया था। इसके बाद वे अपनी माँ के साथ केरल आ गई थीं। अरुंधति ने पांच साल की उम्र तक ऊटी के लॉरेंस स्कूल में पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने केरल के कोट्टयम के कार्पस क्रिस्टी स्कूल में अपनी शुरुआती शिक्षा हासिल की। अरुंधति ने दिल्ली के स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर से शिक्षा हासिल की है। 
 

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फिल्मों में भी किया है काम 
वर्ष 1984 में अरुंधति को प्रदीप कृषणन की फिल्म 'मैसी साहब' में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में अरुंधति ने एक जनजातीय लड़की का किरदार निभाया था। इस फिल्म को कई अवाॅर्ड मिले थे। इस फिल्म की सफलता के बाद अरुंधति ने प्रदीप कृष्णन से शादी कर ली थी। साल 1998 में अरुंधति रॉय की किताब 'द इंड ऑफ इमेजिनेशन' प्रकशित हुई थी। इस किताब में उन्होंने भारत सरकार की परमाणु नीतियों की आलोचना की है। इसके बाद जून 2005 में अरुंधती ने ईराक के वर्ल्ड ट्रिब्यूनल में भी सहभागिता निभाई। अरुंधति को  को 2004 में सिडनी शांति पुरस्कार और वर्ष 2006 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, लेकिन उन्होंने ये पुरुस्कार लेने से इंकार कर दिया था।

विवादस्पद बयानों के कारण हुई आलोचना का शिकार 
साल 1994 में अरुंधति रॉय फिल्म डायरेक्टर शेखर कपूर की मशहूर फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ पर फूलन देवी के बारे में लिखे अपने लेख के कारण विवादों में भी शामिल हुई थीं। अपने लेख में उन्होंने शेखर कपूर पर आरोप लगाया था कि इस फिल्म में उन्होंने फूलन देवी के शोषण और उनके जीवन से संबंधित घटनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया है। सरकार के खिलाफ अपने कड़े बयानों के चलते अरुंधति हमेशा ही सुर्खियों में रही हैं। उन्होंने अफ़ज़ल गुरु, कश्मीर, माओवादिओं, जाति और अम्बेडकर और देशद्रोह पर लेख लिखे थे जिसके कारण उन्हें कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। इतना ही नहीं 2018 में कश्मीर मामले पर दिए अपने एक विवादित बयान के कारण लोगों ने अरुंधति को देशद्रोही कहा था।