अकेले बच्चे की परवरिश कैसे करें, पेरेंट्स को समझनी होंगी ये कुछ बातें

By Ek Baat Bata | Feb 15, 2022

करियर ओरिएंटेड कपल्स की संख्या जैसे-जैसे बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे परिवार भी छोटे होते जा रहे हैं। कभी ‘हम दो हमारे दो’ का हिट स्लोगन अब ‘हम दो हमारा एक’ तक आ पहुंचा है। समय, जगह या पैसों की कमी… वजहें कुछ भी हों, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि एक ही बच्चा पैदा करने वाले कपल्स की संख्या अब तेज़ी से बढ़ रही है। बच्चों की परवरिश वैसे ही बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी होती है, उस पर जब एक ही बच्चा हो तो यह ज़िम्मेदारी और ख़ास बन जाती है कि उसे किस तरह सही परवरिश मिले। जब एक घर में 1 से ज्यादा बच्चे होते हैं तो वे एक दूसरे के साथ खेलकर, लड़कर, झगड़कर अपना मनोरंजन करते रहते हैं। लेकिन जब घर में केवल एक बच्चा होता है तो उसकी परवरिश में थोड़ा सा ध्यान रखने की जरूरत होती है। क्योंकि उसके मन में अकेलेपन की भावना कब पैदा हो जाए पता ही नहीं चलता। बता दें कि अकेले बच्चे से अक्सर माता-पिता कुछ उम्मीदें लगा बैठते हैं। वहीं बच्चे भी माता-पिता से उसी स्तर पर सपोर्ट चाहते हैं। ऐसे में दोनों को एक दूसरे को समझना जरूरी है। बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं। उन्हें जैसा रूप देना चाहें, दे सकते हैं। उनके अच्छे भविष्य और उन्हें बेहतर इंसान बनाने के लिए सही परवरिश जरूरी है। बच्चे के साथ आपका व्यवहार कैसा हो ताकि वो नटखट तो बनें पर बिगड़े बच्चे नहीं। हर बच्चा अलग होता है। उन्हें पालने का तरीका अलग होता है। बच्चों की सही परवरिश के लिए हालात के मुताबिक परवरिश की जरूरत होती है। हमें ये समझना होगा कि बच्चे के साथ कैसे पेश आएं कि वह अनुशासन में रहे और लोग उसकी शैतानियों की शिकायत लेकर आपके पास न आएं।

सद्‌गुरु के अनुसार :
सही परवरिश के लिए हालात के मुताबिक समझ-बूझ की ज़रूरत होती है। सब बच्चों पर एक ही नियम लागू नहीं हो सकता। चाहे बच्चों के ख्याल रखने की बात हो, प्यार जताने की हो या फिर सख्ती बरतने की; हर बच्चे के साथ अलग ढंग से पेश आने की जरूरत होती है। मान लीजिए मैं नारियल के बाग में खड़ा हूं और आप मुझसे पूछें, “एक पौधे को कितना पानी देना होगा?” तो मेरा जवाब होगा, “एक पौधे को कम-से-कम पचास लीटर।” घर जाने के बाद अगर आप अपने गुलाब के पौधे को पचास लीटर पानी देंगे तो वह मर जाएगा। आपको देखना होगा कि आपके घर में कौन-सा पौधा है और उसकी क्या ज़रूरतें है।
आइये जानते है कि इकलौते बच्चे की परवरिश करते वक्त किन बातों का ध्यान रखना चाहिए -
1. बच्चे को ज़्यादा से ज़्यादा समय दें
बच्चे की अच्छी परवरिश के लिए उसके साथ समय बिताएं। केवल अच्छे-अच्छे उपहार देने भर से आपकी ज़िम्मेदारी ख़त्म नहीं हो जाती। माना आप अपने करियर की वजह से ही परिवार नहीं बढ़ा रहे हैं, लेकिन अपने बच्चे को सही-ग़लत की जानकारी देना भी आपकी ही ज़िम्मेदारी है और इसके लिए आपको उसके साथ समय बिताना ही होगा। समय न दे पाने की जगह यदि आप पॉकेटमनी, उसके जन्मदिन पर फैंसी बर्थडे पार्टी या ग़िफ़्ट दे कर अपनी ज़िम्मेदारी से बचेंगे तो बच्चे को ग़लत संदेश मिलेगा। यदि आपके ऑफ़िस आवर्स ज़्यादा हैं तो घर के कामों के लिए कोई हेल्पर रखें और ऑफ़िस के बाद का अधिकांश समय बच्चे के साथ ही बिताएं।
2. अपनी अपेक्षाओं को ना थोपें
अकसर माता-पिता अपने अंदर छिपी इच्छाओं को अपने बच्चों पर थोपने की कोशिश करते हैं। इसके कारण बच्चा तनाव में रह सकता है। बता दें कि माता-पिता को समझने की जरूरत है कि बच्चों पर दबाव डालने से ना केवल बच्चे के विकास पर असर पड़ सकता है बल्कि बच्चे मानसिक तौर पर भी प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे में अपनी इच्छाओं को थोपनें से बचें।
3. कैसे तय करें सीमाएं
बच्चों को यह पता होना चाहिए कि उन्हें किस चीज की अनुमति है और किस चीज की नहीं। बेहतर परवरिश के लिए यह सबसे ज्यादा जरूरी कदम है, क्योंकि सीमाएं हमें हमारा दायरा बताती हैं। बच्चों को यह पता होना चाहिए कि उन्हें कितनी देर के लिए खेलने की इजाजत है। वे कितना फास्टफूड खा सकते हैं या कंप्यूटर और टीवी पर कितनी देर गेम खेल सकते हैं आदि। पर सीमाएं हमेशा सोच-समझकर ही तय करें।
4. ज़रूरत से ज़्यादा ध्यान ना दें
माता-पिता का अपने बच्चे को लेकर प्रोटेक्टिव होना स्वाभाविक है लेकिन माता-पिता को समझना होगा कि प्रोटेक्टिव और ओवर-प्रोटेक्टिव में फर्क होता है। ऐसे में यदि बच्चा कुछ अपना काम कर रहा है तो ऐसे में इंटरफेयर करना गलत हो सकता है। जीवन के कुछ फैसलों को बच्चे को खुद लेने दें। जब वह अपने फैसले खुद लेना शुरू करेगा तो उसका आत्मविश्वाश भी बढ़ेगा। 
5. मनोरंजन का ख़्याल रखें
बच्चे के मनोरंजन का पूरा ख़्याल रखें। टीवी, इंटरनेट, खेल-कूद और क़िताबें सभी बच्चों का भरपूर मनोरंजन करते हैं। बस, ज़रूरत है कि आप उन्हें इस तरह ग्रूम करें कि वे टीवी, इंटरनेट या वीडियो गेम जैसे मनोरंजन के साधनों का कम और खेल-कूद व क़िताबों का ज़्यादा उपयोग करें। अकेले बच्चों का क़िताबों से बेहतर कोई साथी नहीं हो सकता और उनमें क़िताबों के प्रति रुचि जगाना भी आसान है, लेकिन इसकी शुरुआत तभी कर दें, जब वे छोटे हों।
6. बच्चों से दोस्ती करें
अपने बच्चे पर खुद को थोपना छोड़ दें और उसका बॉस बनने की बजाय उससे दोस्ती करें। अपने को उससे उपर रख कर उस पर शासन ना चलाएं, बल्कि खुद को उससे नीचे रखें ताकि वह आपसे आसानी से बात कर सके।
बच्चा जब जिद करे तो क्या करें
बच्चों की जिद के आगे हम अक्सर हथियार डाल देते हैं। लेकिन एक बात याद रखें कि एक बार यदि आपने उनकी जिद के आगे हार मान ली तो हमेशा ऐसा ही होगा। अनजाने में आपने उन्हें रास्ता बता दिया। इसलिए बच्चों की जिद पूरी न करें। इसका सबसे अच्छा तरीका यह हो सकता है कि बच्चे जब जिद करें तो उन्हें पूरी तरह नजर अंदाज करें। कुछ देर जिद करने के बाद बच्चों को यह एहसास होगा कि जिद करने का कोई फायदा नहीं है, सिर्फ समय की बर्बादी है।
जब फैसला न कर पाएं तो क्या करें
बच्चा किसी चीज के लिए पूछे और आप उलझन में हैं कि हां कहूं या ना कहूं, तो बच्चे से उसकी वजह पूछें। यदि आपका बच्चा डीवीडी या टीवी पर कोई फिल्म देखना चाहता है तो उसके लिए उससे कारण पूछें। बच्चों के यह कहने पर कि उसने अपने सारे खिलौनों को साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखा है, तो उसे डीवीडी या फिल्म देखने दें।