Pregnancy Problems: प्रेग्नेंसी में आ रही बार-बार रुकावट तो ये 3 गलतियां हो सकती हैं जिम्मेदार

By Ek Baat Bata | Aug 29, 2025

हर शादीशुदा महिला का प्रेग्नेंट होने का सपना होता है। प्रेग्नेंसी सिर्फ एक बच्चे को जन्म देना नहीं बल्कि महिला को मां बनने का अधिकार भी देता है। साथ ही यह पति-पत्नी के रिश्ते को गहराई भी देता है। हालांकि पहले के समय में शादी होने के बाद परिवार वाले उम्मीद करते थे कि जल्द से जल्द घर में बच्चे की किलकारी गूंजे। लेकिन अब लाइफस्टाइल बदल चुकी है और लोगों की जिंदगी में स्ट्रेस अहम हिस्सा बन चुका है। वहीं स्ट्रेस किसी भी वजह से हो सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्रेग्नेंसी में सबसे बड़ी रुकावट क्या आती है।

जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

एक्सपर्ट की मानें, तो महिलाओं द्वारा अब लाइफस्टाइल की गलतियां गर्भधारण करने में सबसे बड़ी समस्या है। क्योंकि जंक फूड्स और न्यूट्रिशनल लैस फूड, स्ट्रेस और खराब लाइफस्टाइल की अन्य आदतों के चलते यह समस्या ज्यादा बढ़ गई है।

स्ट्रेस की मुख्य वजह

एक्सपर्ट के अनुसार, तनाव एक आम समस्या है, जिससे अधिकतर लोग पीड़ित रहते हैं। लेकिन तनाव सिर्फ मानसिक सेहत नहीं बल्कि पूरे शरीर खासकर प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है। हालांकि यह केस महिला और पुरुष दोनों में आते हैं। लेकिन इसका असर महिलाओं पर ज्यादा पड़ता है। ज्यादा स्ट्रेस में रहने की वजह से हार्मोन्ल इंबैलेंस की समस्या हो जाती है। इस वजह से फर्टिलाइजेशन में भी दिक्कत आती है। कई बार महिला प्रेग्नेंट हो जाती है, लेकिन स्ट्रेस के कारण गर्भपात का सामना करना पड़ जाता है।

अनहेल्दी इटिंग

भारत की अधिकतर महिलाएं एनीमिया से पीड़ित होती है। इस बीमारी में शरीर में खून की कमी के कारण होती है। कई बार एनीमिया प्रेग्नेंट होने में समस्या पैदा करता है। आजकल ज्यादातर महिलाओं का खानपान बिगड़ चुका रहै। लगातार बाहर का खाना, एल्कोहल कंज्यूम करने और प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन करने से प्रेग्नेंसी पर इफेक्ट पड़ता है।

लाइफस्टाइल हैबिट्स

इनमें से नींद सबसे ज्यादा जरूरी है। हमारी ओवरऑल हेल्थ में नींद अहम रोल निभाती है। वहीं नींद पूरी न होने पर हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और शरीर भी कमजोर होता है। नींद भी अधूरी होना भी स्ट्रेस का कारण होता है।

प्रेग्नेंसी के लिए जरूरी टिप्स

अगर आपको लगातार मानसिक तनाव रहता है, तो आपको किसी साइकोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए। इसके अलावा लाइफस्टाइल में सुधार के लिए मेडिटेशन, योग, एक्सरसाइज और जिम का सहारा ले सकते हैं। वहीं अच्छी डाइट लेना भी जरूरी है। वहीं अगर आप शारीरिक रूप से कमजोर हैं, तो आपको किसी पीडियाट्रिशियन से मिलकर सही डाइट के बारे में जानकारी लेना चाहिए।