हिंदू धर्म में सुख-संपत्ति और धन लाभ के लिए कई व्रत किए जाते हैं। माँ लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है। माँ लक्ष्मी की पूजा बहुत से रूपों में की जाती है जैसे धनलक्ष्मी, वैभव लक्ष्मी, गज लक्ष्मी आदि। शुक्रवार के दिन माँ वैभव लक्ष्मी का व्रत और पूजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि अगर लंबे समय से कोई काम नहीं बन पा रहे हो या घर के मामले में हानि हो रही तो 11 या 21 शुक्रवार को माँ वैभव लक्ष्मी का व्रत करने से धन-वैभव का आशीर्वाद मिलता है। यह व्रत शुक्रवार को ही किया जाता है इसलिए यदि किसी कारणवश 11 या 21 शुक्रवार के व्रत के बीच आप किसी शुक्रवार को व्रत न कर पाएँ तो माफी माँग कर उस व्रत को अगले शुक्रवार को रख लें। वैभव लक्ष्मी का व्रत स्त्री और पुरुष, दोनों ही कर सकते हैं। व्रत शुरू करने से पहले अपनी उस मन्नत का उल्लेख अवश्य कर दें जिसको पूरी करने के लिए आप व्रत का संकल्प ले रहे हैं। अगर आप भी अपनी जीवन की परेशानियों से छुटकारा चाहते हैं तो माँ वैभव लक्ष्मी का व्रत करें। आज के इस लेख में हम आपको माँ वैभव लक्ष्मी के व्रत का महत्व और पूजा की विधि बताएंगे -
वैभव लक्ष्मी व्रत का महत्व
माँ वैभवलक्ष्मी का व्रत करने से जीवन में चली आ रही धन संबंधी तंगी दूर होती है। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन-वैभव का आशीर्वाद देती हैं। जिस घर में माँ वैभवलक्ष्मी की पूजा की जाती है, वहाँ माँ लक्ष्मी का वास होता है। यह व्रत करने से धन प्राप्ति होती है और व्यापार में भी मुनाफा होता है। मां वैभव लक्ष्मी की उपासना करने से आयु में वृद्धि होती है और समाज में सम्मान की प्राप्ति होती है। मां वैभव लक्ष्मी का व्रत करने से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी समापत होती हैं। इस व्रत में मां लक्ष्मी की पूजा के साथ श्रीयंत्र की पूजा का भी विधान है।
इस तरह करें मां वैभव लक्ष्मी की पूजा:
- शुक्रवार के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करके साफ वस्त्र पहन लें। फिर मंदिर की साफ-सफाई करें और मां लक्ष्मी का ध्यान कर 11 या 21 शुक्रवार व्रत रखने का संकल्प लें।
- वैभव लक्ष्मी का पूजन शाम को किया जाता है। शाम को भगवान श्रीगणेश, माता लक्ष्मी और श्रीयंत्र को एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें।
- चौकी पर थोड़े चावल रख कर उस पर जल से भरा तांबे का कलश रखें।
- कलश पर एक कटोरी रखें और उसमें सोने या चांदी का कोई गहना, अक्षत और लाल फूल चढ़ाएं।
- माता को चावल की खीर का भोग लगाएं और रात को यह खीर खा लें।
वैभव लक्ष्मी पूजन के दौरान इन मंत्रों का अवश्य उच्चारण करें-
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥
यत्राभ्याग वदानमान चरणं प्रक्षालनं भोजनं
सत्सेवां पितृ देवा अर्चनम् विधि सत्यं गवां पालनम
धान्यांनामपि सग्रहो न कलहश्चिता तृरूपा प्रिया:
दृष्टां प्रहा हरि वसामि कमला तस्मिन ग्रहे निष्फला:
- यह व्रत फलाहार होता है। शाम को व्रत पूरा होने के बाद अन्न ग्रहण किया जा सकता है।
- वैभव लक्ष्मी की पूजा के बाद व्रत की कथा जरूर पढ़ें। फिर गाय के घी के दीपक से आरती करें।
- पूजा करने के बाद अपनी मनोकामना को मन में 7 बार जरूर दोहराएं। इसके साथ ही मां लक्ष्मी का ध्यान करें। घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाएं।