यह बात को हम सभी जानते हैं कि भगवान गणेश की पूजा में मोदक का भोग और दूर्वा चढ़ाने का विशेष महत्व माना जाता है। बताया जाता है कि अनलासुर नाम का एक राक्षस को गणेश जी ने निगल लिया था। तब उनका पाचन सही न होने की वजह से पेट में जलन होने लगी थी। तब ऋषि कश्यप ने गणेश जी को गणपति बप्पा को 21 दूर्वा घास खाने को दी थी। जिससे गणेश जी का ताप शांत हुआ था। तब से ही श्रीगणेश की पूजा में दूर्वा चढ़ाना जरूरी माना जाने लगा था।
लोग गणपति बप्पा को खुश करने और उनकी कृपा पाने के लिए दूर्वा अर्पित करते हैं। लेकिन कई बार यह आसानी से नहीं मिलती है। जिससे पूजा अधूरी मानी जाती है। बता दें कि आप दूर्वा की घास को गमले में लगा सकते हैं। आम बोलचाल की भाषा में दूर्वा को दूब भी कहा जाता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको घर पर दूर्वा लगाने और इसकी देखभाल करने के बारे में भी बताने जा रहे हैं।
दूर्वा के लिए मिट्टी और गमला
इस घास को उगाने के लिए आपको चौड़ाई वाला गमला लेना चाहिए। यह एक ऐसी घास है, जो बेल की तरह बढ़ती है। दूर्वा के लिए किसी भी प्रकार की मिट्टी काम आ सकती है। क्योंकि कम देखभाल में भी अच्छी तरह से उग जाती है।
कहां लगाएं पौधा
दूर्वा घास लगाने को लेकर भी कुछ मान्यताएं हैं। मान्यता है कि घर पूर्वी कोने या उत्तर दिशा के कोने में इसे सावधानी से लगाना चाहिए। क्योंकि इस दिशा में लगाने से घर की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। माना जाता है कि दूर्वा के पौधे की पत्तियां जितनी हरी-भरी होंगी, घर में उतनी ही तरक्की और खुशहाली आएगी।
वहीं इस घास को कटिंग की मदद से भी उगाना बेहद आसान है। आप मैदान से कटिंग लेकर आएं और फिर गमले में मिट्टी डालने के बाद कटिंग लगाकर पानी डाल दें। वहीं आप चाहें तो बीज से भी यह पौधा लगा सकते हैं। ऑनलाइन या फिर किसी बीज भंडार से आपको दूर्वा घास के बीज मिल जाएंगे।
ऐसे करें देखभाल
बता दें कि दूब की घास को अंकुरित होने में करीब 7 से 21 दिनों का समय लगता है। इसका बीज लगाने के बाद आपको पौधे को 18 से 24 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखना होगा। आप गमले को फुल सनलाइट में रख सकते हैं। आपको इसमें रोजाना पानी डालना होगा, जिससे कि अंकुरित होने के बाद यह सूखे नहीं। जब दूर्वा उग जाए, तो आप इसको गणेश जी पर चढ़ाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।