इनफ़ोसिस की मालकिन सुधा मूर्ति को टाटा मोटर्स ने नहीं दी थी नौकरी

By Ek Baat Bata | Jan 07, 2020

सुधा मूर्ति इन्फोसिस फाउंडेशन की संस्थापक, एन. आर. नारायणमूर्ति की पत्नी और फेमस सामाजिक कार्यकर्ता हैं। सुधा मूर्ति अपने जीवन में कुछ महान लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जन्मी थी, लेकिन सुधा मूर्ति एक ऐसी शख्सियत हैं जो अपनी जिंदगी को सादगी के साथ जीने में यकीन रखती हैं और यही ‘सादगी और मन की उदारता’ ने सुधा मूर्ति को इस मुकाम में लाकर खड़ा किया है। सुधा मूर्ति की पढ़ाई को लेकर जिन लोगों ने सवाल उठाए थे अब अधिकतर वही लोग उनकी मदद मांगते हुए दिखते हैं।

जन्म- सुधा मूर्ति का जन्म 19 अगस्त 1950 में उत्तरी कर्नाटक में शिगांव जिले में हुआ था। शादी से पहले उन्हें सुधा कुलकर्णी के नाम से पुकारा जाता था। सुधा मूर्ति ने बी.वी.बी.कालेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी’, हुबली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन कर अपने राज्य में प्रथम आने वाली महिला में नाम दर्ज किया साथ ही उनको कर्नाटक के मुख्यमंत्री से रजत पदक से सम्मानित किया। उसके बाद भी सुधा मूर्ति ने सन 1974 में ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस’ से  कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स डिग्री भी प्राप्त कर स्वर्ण पदक हासिल किया।

पढ़ाई के साथ संभाले अन्य काम- पढ़ाई के साथ-साथ सुधा मूर्ति ने सामाजिक कार्यकर्ता का भार भी संभाला, सुधा मूर्ति एक बेहतरीन शिक्षक और लेखिका भी हैं। कंप्यूटर की पढ़ाई  करने के बाद सुधा मूर्ति ने कर्नाटका सरकार से कहकर सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर की सुविधा मुहैया करवाई थी। कुछ समय बाद सुधा मूर्ति ने स्कूल में साइंस का विषय पढ़ाना शुरू कर दिया था। लेखिका के तौर पर सुधा मूर्ति ने अपनी पहली किताब डालर बहू के नाम से कन्नड़ भाषा में लिखी थी। सन 2001 में इस पुस्तक पर आधारित एक टी.वी.सीरियल भी बना था जो काफी प्रचलित हुआ था।

टाटा मोटर्स ने किया पक्षपात- सारी डिग्री प्राप्त करने के बाद सुधा मूर्ति ने कंपनी में नौकरी के आवेदन शुरू कर दिए थे, लेकिन उस समय में लड़कियों को पढ़ने पर लोग सवाल उठाते थे और नौकरी के लिए कोई लड़कियाँ नहीं जाती थी। जब सुधा मूर्ति कंपनी में नौकरी के लिए गई तो उन्होंने मना कर दिया फिर उसके बाद सुधा मूर्ति ने टाटा मोटर्स को पोस्टकार्ड द्वारा लिख कर ये बोला कि टाटा मोटर्स लिंग पक्षपात करता है। ऐसा उन्होंने इसलिए बोला कि ये कंपनी वाले सिर्फ पुरुषों को नौकरी में रखते है। इस पोस्टकार्ड के बाद कंपनी ने सुधा मूर्ति को नौकरी देने के लिए हामी भरी और उन्होंने एक ग्रेजुएट ट्रेनी के रूप में अपना करियर शुरू किया।

नौकरी करते वक़्त मिले थे सुधा और नारायण मूर्ति- सुधा मूर्ति पुणे में टेल्को कंपनी में जुड़ने के बाद नारायण मूर्ति से मिली। नौकरी में काम करने के बाद नारायण और सुधा के बीच नज़दीकियाँ बढ़ने लगी और दोनों ने शादी करने का फैसला लिया। शादी करने के बाद नारायण और सुधा के दो बच्चे हुए जिसमें एक लड़का और एक लड़की है। नारायण को शुरू से अपना बिज़नेस करना था लेकिन पैसा नहीं होने कारण उन्होंने नौकरी करना चुना। जब नारायण ने सुधा को ये बात बताई, तो उन्होंने नारायण को 10,000 रुपए अपने पूंजी से दिए जिसके बाद नारायण ने इंफोसिस नाम की कंपनी बैंगलोर में खोली।

इंटरव्यू के दौरान कहा- सुधा ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि 'आप जो भी काम करें, अच्छी तरह से करें. प्रत्येक कार्य में मेरा उद्देश्य एक ही रहा है – जब आप एक अधीनस्थ हों, तो अपने व्यवसाय के प्रति ईमानदार और निष्ठावान रहें तथा व्यावसायिक बनें, लेकिन जब आप बॉस की हैसियत में हों, अपने अधीनस्थों का ध्यान रखें ठीक उसी तरह, जैसे जब बच्चे घर पर हों, माँ को उनके साथ होना चाहिए, क्योंकि उन्हें माँ की जरूरत होती है'।